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बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ प्रति वर्ष मनाई जाती है दिपावली का त्योहार

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मुन्ना अंसारी साफ संदेशप जिला संवाददाता महराजगंज

महराजगंज ।भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का त्योहार सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे ईश्वर ) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी बडे़ ही धूमधाम से मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं ।बडे़ बड़े ऋषि-मुनियों तथा बड़े-बड़े विद्वानों का कथन है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात सीता मईया को लंका से लेकर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारत में निवास करने वाले लोग प्रति वर्ष दिपावली का त्योहार प्रकाश-पर्व हर्ष व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। भारत के नागरिकों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र और चमकदार नजर आते हैं।आज के दिन और रात में चारों तरफ चहल पहल दिखाई देता है। कहीं पर रामलीला होता है तो कहीं पर प्रवचन होती हैं। हिन्दू धर्म के लोग एक दूसरे से गले मिलकर बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं। कहीं कहीं यह भी देखा जाता है कि एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराते हैं। आशीर्वाद देते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। आज ही के रात बहुत से लोग लक्ष्मी जी का निश्वार्थ पूजा पाठ करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। दिपावली के संबंध में पूरी जीवनी अगर लिखा जाए तो कलम की स्याही खत्म हो जाएगी परंतु इस त्यौहार की प्रशंसा खत्म नहीं होगी।

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