गोरखपुर। विद्वत् जनकल्याण समिति द्वारा संचालित भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 30 मई दिन सोमवार को वट सावित्री व्रत बरगदाई एवं सोमवती अमावस्या भंवरी का संयोग बहुत ही शुभ दायक है.अखंड सौभाग्य की प्राप्ति एवं दामपत्य जीवन शान्ति, सुखमय एवं कल्याणमय तथा घर में सुख शांति धन धान्य आदि की समृद्धि के लिए महिलाएं यह पूजा करती है।
इस बार बहुत ही अच्छा संयोग है की महिलाएं वट वृक्ष एवं पीपल वृक्ष दोनों का पूजन एक ही दिन करेगीं, महिलाएं प्रात:काल में स्नान आदि करने के बाद पूजन सामग्री लेकर वट वृक्ष एवं पीपल वृक्ष के पास जाकर पीसी हल्दी, सिन्दूर, अच्छत्, फूल,धूप, दीप,नैवेद्य आदि से पूजन कर एक सौ आठ परिक्रमा कर अपनी कामना के लिए भगवान विष्णु जी से प्रार्थना करती है। पं बृजेश पाण्डेय ने बताया कि वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ। सावित्री का अर्थ वेद माता गायत्री और सरस्वती भी होता है। सावित्री का जन्म भी विशिष्ट परिस्थितियों में हुआ था,कहते हैं कि भद्र देश के राजा अश्वपति को कोई संतान नहीं थी, उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिदिन एक लाख आहुतियां दीं.अठारह वर्षों तक यह क्रम जारी रहा। इसके बाद सावित्री देवी ने प्रकट होकर वरदान दिया कि राजन तुझे एक तेजस्वी कन्या पैदा होगी। सावित्री देवी की कृपा से जन्म लेने की वजह से कन्या का नाम सावित्री रखा गया था। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में वट सावित्री की पूजा होगी।
30 मई सोमवार को वट सावित्री व्रत (बरगदाई) एवं सोमवती अमावस्या (भंवरी) का दुर्लभ संयोग-पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य



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