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धूप खिली तो चहके वन्यजीव, गेरुआ नदी के तट पर घड़ियाल और मगरमच्छ बने आकर्षण का केंद्र

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कतर्नियाघाट,बहराइच। जिला में दो दिन से मौसम सुहावना हो रहा है। तेज धूप जलीय जीवों के लिए वरदान साबित हो रही है। जंगल में बहने वाले नदी और नालों से जलीय जीव टापू पर बैठकर धूप सेंकते दिख रहे हैं। शुक्रवार को जंगल भ्रमण पर गए सदस्यों को जलीय जीवों के साथ विदेशी पक्षी भी दिखे।जिले में स्थित कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग सात वन रेंज में विभक्त है। 551 वर्ग किलोमीटर में कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार फैला हुआ है। जंगल में 35 से अधिक की संख्या में बाघ, 75 तेंदुए, हिरण की प्रजाति में हजारों की संख्या में चीतल के अलावा पाढ़ा, काकड़, मोर, जंगली मुर्गे, बाजों में शहबाज, सिलेटी बाज, सांपमार बाज विचरण करते हैं।इसके अलावा 350 प्रकार के पक्षी जिनमें प्रमुख रूप से काला धनेश, टकाचोर, केशराज, भृंगराज, पन्ना फाक्ता, गेरुआ नदी में विचरण करते नर्म खाल वाले उदबिलाव, घड़ियाल, मगरमच्छ पाए जाते हैं। जिले में बीते एक माह तक पड़ी कड़ाके की ठंडक, बारिश, कोहरे व बदली के चलते वन्यजीवों के साथ जलीय जीवों को दिक्कत होती थी। संरक्षित वन क्षेत्र दुर्लभ जंगली जीव और जलीय विचरण करते हैं। वहीं दो दिन से निकल रही चटक धूप से वन्य जीव भी चहक उठे हैं।शुक्रवार को कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब की टीम जब कतर्नियाघाट पहुंची तो जंगल का नजारा बदल चुका था। खिली धूप में वन्य जीव चहक उठे रहे थे और कड़ाके की ठंड के बाद खिली धूप का आनंद ले रहे थे। जंगल भ्रमण पर गए कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब के वन्य जीव छायाकार अमन लखमानी भी अपने कैमरे के साथ वन्य जीवों को अपने कैमरे में कैद करने को बेताब थे।जिप्सी पर जंगल भ्रमण के दौरान टीम को बाघ व तेंदुए व जंगली हाथियों के दर्शन तो नहीं हुए पर अमन लखमानी ने अनेक स्थानों पर विचरण करते चीतल के झुंड, काले धनेश, मोरनी को रिझाने के लिए नृत्य करते मोर, धूप सेंकते अजगर के अलावा बोटिंग के दौरान गेरुआ नदी के तट पर धूप का मजा उठाते घड़ियाल व मगरमच्छों, गेरुआ नदी में पड़े सूखे पेड़ों पर धूप सेंकते सफेद कछुए को अपने कैमरे में कैद किया।भ्रमण से लौटकर आये कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब के अद्धयक्ष भगवान दास लखमानी ने बताया कि प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग आकाशदीप बधावन व फील्ड में तैनात वनकर्मियों की अथक परिश्रम, लकड़कट्टों व शिकारियों पर सख्ती एवं सहयोगी स्वयं सेवी संस्थाओं के जन जागरूकता प्रयासों से जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों में बढ़ी जागरूकता के परिणाम स्वरूप जंगल में वन्य जीवों की संख्या में इजाफा हुआ है।

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