रिपोर्ट-अरविन्द कुमार
कुशीनगर । कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है।यह बातें क्षेत्र के बकनहा में चल रहे विश्व कल्याण हेतु सात दिवसीय श्री श्री 108 श्री शिव प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के छठवे दिन शनिवार को कथा वाचक हलचल बाबा ने कथा का वाचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।उन्होंने कहा कि कथा में इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की अहमियत दी है अधूरा कथा कभी नहीं सूनना चाहिए अधूरा कथा सूनने से बहुत बड़ा दोष होता हैजागरण संवाददाता गोबरही कुशीनगर ्कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है।यह बातें क्षेत्र के बकनहा में चल रहे विश्व कल्याण हेतु सात दिवसीय श्री श्री 108 श्री शिव प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के छठवे दिन शनिवार को कथा वाचक हलचल बाबा ने कथा का वाचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।उन्होंने कहा कि कथा में इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की अहमियत दी है अधूरा कथा कभी नहीं सूनना चाहिए अधूरा कथा सूनने से बहुत बड़ा दोष होता हैकिया जाएगा । मुख्य यजमान व आयोजक ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि रबिवार को यज्ञ के पूर्णाहुति के दिन क्षेत्र के दर्जनों गांव के लगभग पांच हजार लोगों के लिए भंडारे के लिए ब्यवसथा किया गया है इस दौरान आत्मा गुप्ता प्रमोद चौहान राजेश गुप्ता राजकुमार गुप्ता पवन गुप्ता सुशील कुशवाहा रामप्रवेश गुप्ता अमरनाथ यादव शंभू यादव विश्वकर्मा श्रीराम साधु भी नारायण यादव श्री राम कुशवाहा दिनेश गुप्ता याद प्रशान्त यादव आदि मौजूद रहे



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