तरयासुजान पीएचसी और रामकोला सीएचसी पर किया अभिलेखों का अवलोकन
कालाजार और चमड़ी कालाजार मरीजों से मिलकर ली जानकारी
रिपोर्ट-अमित मिश्रा
कुशीनगर। 31 मार्च 2022 कुशीनगर में कालाजार उन्मूलन का जायजा लेने केन्द्रीय टीम दो दिवसीय दौरे पर आयी। टीम ने जहां दो अस्पतालों पर दवाओं और अभिलेखों का अवलोकन किया वहीं कालाजार और चमड़ी कालाजार के मरीजों से मुलाकात भी की। टीम ने आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम ( नई दिल्ली) के कंट्री लीड ( कालाजार) डॉ.ध्रुव पांडेय व उनके साथ आए नित्यानंद सबसे पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.सुरेश पटारिया से मिले। उनके निर्देशन में टीम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ दुदही ब्लॉक के ग्राम पंचायत गौरी श्रीराम दलित टोले पर पहुँची। टीम ने वहां छिड़काव कर रही टीम के श्रमिकों से छिड़काव के बारे में जानकारी ली तथा आवश्यक निर्देश भी दिया। टीम ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तरयासुजान पर दवाओं और अभिलेखों का रख रखाव देखा। वहां से ग्राम पंचायत जगदीशपुर जाकर चमड़ी कालाजार के दो रोगियों से मुलाकात की। इलाज के साथ मिलने वाली मेडिकेटेड मच्छरदानी और सहायता राशि के बारे में भी पूछा। मरीजों ने बताया कि मच्छरदानी और 84 दिन इलाज पूरा करने के बाद सहायता राशि मिली है। टीम ने भावपुर गांव में एक कालाजार रोगी से मिलकर इलाज संबंधी जानकारी ली। वहां से टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तमकूही क्षेत्र के बिहार बुजुर्ग गांव में एक कालाजार रोगी से मिली। मरीज से इलाज संबंधी सघन जानकारी हासिल की। उसे तत्काल मेडिकेटेड मच्छरदानी भी उपलब्ध कराया। टीम ने गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामकोला के ग्राम पंचायत पथरदेवा जाकर भी कालाजार उन्मूलन के बारे में जानकारी हासिल की। टीम जिला संयुक्त चिकित्सालय पडरौना भी गयी। टीम ने सभी अस्पतालों के जिम्मेदारों को कालाजार उन्मूलन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कराने तथा कालाजार के लक्षण वाले अधिक से अधिक व्यक्तियों की जांच कराने को कहा। यह भी कहा कि मरीजों को गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराया जाए ताकि कालाजार का उन्मूलन हो सके। कालाजार की समय से पहचान हो जाए तो मरीज ठीक हो जाता है। कालाजार का इलाज सरकारी अस्पताल में निःशुल्क है, जबकि निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। टीम ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलता है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर पायी जाती है। यह छह फीट की ऊंचाई तक उड़ पाती है। उसके काटने से व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है, और रूक-रूक कर चढ़ता उतरता है। लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाना चाहिए।इस बीमारी से मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है । शरीर काला पड़ जाता है। इस रोग का निःशुल्क इलाज जिला अस्पताल में उपलब्ध है। टीम के साथ डब्ल्यूएचओ के जोनल को-आर्डिनेटर डॉ.सागर घोडेकर, सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल कुमार चौरसिया, मलेरिया निरीक्षक अंकिता श्रीवास्तव, स्वास्थ्य निरीक्षक संजय सिंह, महेश नारायण और अमन कुमार भी मौजूद रहे। ———
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