संतकबीरनगर।विकास खण्ड साथा के श्री रामजानकी मंदिर पर चल रहे नौदिवसिय विश्णु महायज्ञ के दूसरे दिन आचार्य धनन्जय महाराज ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं है। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते ही सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। कहा कि परीक्षित कलयुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षय पात्र की प्राप्ति किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है। उक्त बातें अपने प्रवचन में धनंजय महाराज ने श्रोताओं से कहा।इस दौरान मुख्य रूप से राजेश सिंह, कन्हैया लाल, पंकज मिश्र, दिग्विजय, बाबूलाल, झीनक प्रसाद सहित हजारों लोगों की भीड़ उपस्थित रही।
गलती की सजा प्रयाश्चित है -धनंजय महाराज



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