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सरकार के कार्यों पर खरा नहीं उतर रहे बीआरपी

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साफ संदेश ( हरीश सिंह ) संतकबीरनगर। योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के प्रत्येक स्तर पर जनभागीदारी को बढ़ाना, योजनाओं में भ्रष्टाचार व अनियमितता की निगरानी रखना, जनता में जागरूकता लाना, किसी योजना या कार्यक्रम का लाभार्थी पर क्या प्रभाव पड़ा इसकी समीक्षा करना होता है, लेकिन कुछ बीआरपी द्वारा इसके उल्टा कार्य कर रहे हैं। जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।

सोशल ऑडिट का उद्देश्य जन सहभागिता बढ़ाना, कार्य एवं निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, जन सामान्य को उनके अधिकारों एवं हक के बारे में जागरूक करना, कार्य योजनाओं के चयन एवं क्रियान्वयन पर निगरानी रखना होता है, पर यहां तो वहीं बात हुई कि चोरी ऊपर से सीना जोरी।

   योगी सरकार जन सहभागिता जवाबदेही व पारदर्शिता के नाम पर सोशल ऑडिट कराने के उद्देश्य से हर ग्राम पंचायत पर लगभग 7000 रूपये खर्च कर रही है, लेकिन टीम में शामिल कुछ बीआरपी न तो ग्राम पंचायतों के रिकॉर्ड की जांच करते हैं, और न ही कार्यों का भौतिक सत्यापन ठीक ढंग से करते हैं। इसके बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष हुए कार्यों का कई जगह अनुमोदन कर दिया गया। इस समय वर्ष 2022—23 के कार्यों की समीक्षा हेतु सामाजिक अंकेक्षण इस तरह से हो रहा है, जैसे कोरम पूरा कर दिया जाए। वही सोमवार को विकासखंड बघौली के ग्राम पंचायत हारापट्टी में हो रहे सामाजिक अंकेक्षण में बीआरपी आदित्य त्रिपाठी खुद पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से आनाकानी करते नजर आए, लेकिन जब पत्रकारों में वित्तीय वर्ष हुए कार्यों का कुल व्यय राशि व मानव दिवस पूछा तो बीआरपी आदित्य त्रिपाठी बताने से इंकार कर गए, और कहा कि यह सब हम नहीं बता सकते। इस प्रकार सरकारी कार्यप्रणाली के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक अंकेक्षण महज औपचारिकता बनकर रह गया है। इसी प्रकार पिछले हफ्ते यही बीआरपी ग्राम पंचायत छाराछ में भी कोरम पूरा करते नजर आए। यदि सूत्रों की मानें तो बीआरपी आदित्य त्रिपाठी पिछले वित्तीय वर्ष हुए सोशल ऑडिट में कई जगह ऑडिट ही नहीं किए, लोगों को यहां तक आभास था कि इस वर्ष यह बीआरपी हटा दिए जाएंगे।

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