संत कबीर नगर। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इसलिए कहा जाता है कि वह अपने देश में होने वाले गतिविधियों, नीतियों, समस्याओं एवं नागरिकों के हक के बारे में दिखाएं और बताएं लेकिन यदि हम आज की बात करें तो जनपद के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जो भी जानकारी लेनी हो वह जनपद मुख्यालय आकर संबंधित अधिकारी से प्राप्त कर लें ग्राम पंचायत, नगर पंचायत व अन्य कोई कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है। यानी जो इनके संबंधित अधिकारी कहते हैं वही खबर अखबार में छाप दो। चाहे धरातल पर विकास कार्य एकदम शून्य की स्थिति में क्यों न हो। इसलिए अपनी कमी छुपाने के लिए अधिकारी जो बयान दें उसे छाप कर शासन में इनकी पैठ बना दो।

जनपद में आए दिन विकास कार्यों को लेकर खबरें चलती रहती हैं, लेकिन मजाल है कि जनपद के अधिकारी ठोस कार्रवाई करते नजर आए हो। सूत्रों की मानें तो विकास कार्यों का इतना कमीशन नीचे से ऊपर पहुंच जाता है कि इन अधिकारीयों को कार्रवाई करने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार इनके अफसर विकास कार्यों के भ्रष्टाचार की लीपापोती करने में जुटे हैं। अभी हाल में ही दो खबरें प्रकाशित हुई थी। जो ग्राम पंचायत में हो रहे सोशल ऑडिट के जरिए वित्तीय वर्ष हुए विकास कार्यो की पोल खोलना है। लेकिन न तो बीआरपी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। न तो जिले के अधिकारीगण। जिस सोशल ऑडिट में मीडिया के प्रतिनिधियों के रहने के लिए शासनादेश है। वही जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि वहां मीडिया का कोई काम ही नहीं है। जो भी जानकारी लेनी हो जनपद मुख्यालय से ले लें। आखिर क्या छुपाना चाहते हैं यह वरिष्ठ अधिकारी जो इस प्रकार की बातें कर रहे हैं। यानी अगर पत्रकार धरातल पर जाता है तो इनके विकास कार्यों की पोल खुलेगी और इनका चेहरा बेनकाब हो जाएगा।
यहां तो राहत इंदौरी की एक बात याद आती है कि “जो तुम कहो वही सदाकत, हमारे मुंह में जुबान थोड़े हैं”
खैर देखते हैं भ्रष्टाचार की लीपापोती कितने दिनों तक चलती है
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