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संतकबीरनगर : बार-बार क्लस्टर और ब्लॉक बदलने से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य प्रभावित, सचिव, प्रधान और जनता सभी परेशान !

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हरीश सिंह – उपसंपादक✒️

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संतकबीरनगर । ग्राम पंचायतों के विकास कार्य इन दिनों सचिवों की बार-बार हो रही क्लस्टर और ब्लॉक स्तर पर तैनाती में बदलाव के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। एक ही साल में कई सचिवों को न सिर्फ क्लस्टर बल्कि ब्लॉक तक बदल दिए जाने से पंचायत संचालन में भारी अवरोध पैदा हो रहा है। इससे पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ आम जनता और खुद सचिव भी परेशान हैं।

न तो योजनाएं पूरी हो रही, न ही समय पर भुगतान
ग्राम प्रधानों का कहना है कि सचिवों का बार-बार ब्लॉक बदलना एक गंभीर समस्या बन गया है। जब तक कोई सचिव ग्राम पंचायत के दस्तावेज, जमीन की स्थिति और योजनाओं की जानकारी लेता है, तब तक उसका ट्रांसफर हो जाता है। इससे निर्माण कार्य लटक जाते हैं, भुगतान में देरी होती है और जनता को समय पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।

ब्लॉक बदलने से दस्तावेजी प्रक्रिया भी प्रभावित

कई मामलों में देखा गया है कि एक ब्लॉक का सचिव जब दूसरे ब्लॉक में चला जाता है, तो पुराने कागजातों, अनुमोदनों और ऑनलाइन प्रविष्टियों में बाधा आती है। इससे न केवल योजनाएं लटकती हैं, बल्कि जिम्मेदारी तय कर पाना भी मुश्किल हो जाता है।

नाम न छापने के शर्त पर कई सचिव बोले – “काम शुरू करते हैं, तब तक स्थानांतरण हो जाता है”
कई सचिवों ने बताया कि एक पंचायत को समझने, सर्वे करने और योजनाएं लागू करने में महीनों लगते हैं। लेकिन जब तक वे काम को गति देना शुरू करते हैं, उनका स्थानांतरण कर दिया जाता है। इससे कार्य अधूरे रह जाते हैं और अगला सचिव फिर से प्रक्रिया की शुरुआत करता है।

जनता में भी आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि योजनाओं के बारे में पूछने पर उन्हें बार-बार यह जवाब मिलता है कि नया सचिव आया है, अभी जानकारी नहीं है। इससे न केवल जनता को असुविधा हो रही है, बल्कि पंचायत कार्यालय की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रशासन से स्थायित्व की मांग
ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि सचिवों की तैनाती में स्थिरता लाई जाए। कम से कम एक सचिव को एक क्लस्टर और एक ब्लॉक में एक से दो साल तक कार्य करने का अवसर दिया जाए, ताकि योजनाओं का लाभ जनता तक सही समय पर पहुंच सके।

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