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श्रीकृष्ण बाललीला का प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु -बस्ती कांवरिया संघ चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा-5

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प्रभु की बाललीला देखने के लिए देवी देवता भी पृथ्वी पर आते हैं-शिवबली चौबे



बस्ती। प्रभु सम्बन्ध अभियान के तहत बस्ती कांवरिया संघ चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा होटल बालाजी प्रकाश में आयोजित श्रीमद्भागवत के पांचवे दिन श्रीकृष्ण भगवान के बाललीला का प्रसंग सुन श्रद्धालु मंत्रमुंग्ध हो गए।कथावाचक ब्रह्मचारी शिवबली चौबे जी महाराज ने कहा कि प्रभु की बाललीला देखने के लिए देवी देवता भी पृथ्वी पर आते थे। उन्होंने कहा कि जब गोपियों की शिकायत पर कि कृष्ण उनका मक्खन चुराकर खा जाता है , माता यशोदा बालक कृष्ण को डांटने लगती हैं तो कृष्ण अपनी सफाई पेश करते हैं। कहते हैं कि माता , मैंने मक्खन नहीं खाया। सुबह सवेरे ही में गायों के पीछे जंगल में चला जाता हूँ , जंगल ही मुझे पढ़ाता है। चारों पहर (चौबीस घंटे) मैं बांसुरी लेकर भटकता रहता हूँ और शाम होने पर ही घर आता हूँ।मैं छोटे छोटे हाथ वाला बालक हूँ में छींके (मक्खन की हाँडी जो ऊपर टांगी जाती है ) तक कैसे पहुँच सकता हूँ।ये सब गाय चराने वाले बालक मेरे दुश्मन हैं , इन्होंने मेरे मुँह पर जबरदस्ती मक्खन लगा दिया है। तुम मन की बहुत भोली हो माँ जो इनकी बातों में आ गयी हो। अवश्य ही तुम्हारे दिल में मेरे प्रति कुछ शक पैदा हो गया है , तुम मुझे पराया समझने लगी हो। यह अपनी लाठी और कमरिया ले लो , इन्होने मुझे बहुत परेशान किया है। तब यशोदा माता ने हँस कर कृष्ण को गले से लगा लिया।


महाराज जी ने बताया कि एक बार राक्षसी पूतना, भगवान श्रीकृष्ण को बाल्यावस्था में ही मारने के लिए अपने स्तन पर विष लगाकर पहुंची। उनको स्तनपान कराने लगी, भगवान उसकी इच्छा को समझ गए। उसके बाद उन्होंने उसके स्तन से उसके जीवन अमृत को खींचकर उसका वध कर दिया।
महाराज जी ने भगवान की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने के की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इन्द्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इन्द्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इन्द्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारों लगाने लगते हैं।
इस दौरान सुनील गुप्ता, संजय द्विवेदी, विवेक गिरोत्रा, देवेंद्र श्रीवास्तव, भवानी प्रसाद शुक्ला, राजाराम गुप्ता, अयोध्या प्रसाद साहू, गौरव साहू, नागेंद्र सिंह सन्तराम, हरिमोहन सरार्फ, अरविंद चौधरी, संतीश सोनकर, विजय गुप्ता, परशुराम चौधरी, रविन्द्र कश्यप, संजू गुप्ता, हरि चौधरी, राधेश्याम मिश्रा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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