रिपोर्ट-अमित मिश्रा कुशीनगर
खड्डा, कुशीनगर। विकास खण्ड खड्डा के महदेवा गांव के सामने नारायणी नदी का रुख देख ग्रामीणों व किसानों की बेचैनी बढ़ गयी है। लगातार किसानों के लहलहाती फसलों समेत खेत नदी में विलिन हो जाने से रिहायशी इलाकों के लिये भी खतरा बढ़ता जा रहा है। वही इस समस्या की ओर विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे अधिकारी व जनप्रतिनिधि का नहीं दे रहे ध्यान नही जा रहा है। अगर प्रशासन द्वारा बचाव कार्य के साथ कोई ठोस कार्य नही किया गया तो सैकड़ों किसान भूमिहीन होने के साथ गांव का भी अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। बीते तीन वर्षों से बाढ़ की विकरालता के बाद महदेवा गांव के कृषि युक्त भूमि का कटान नारायणी नदी कर रही है। जो नारायणी काटते काटते महदेवा मौजा के करीब 800 एकड़ कृषि भूमि को नदी में मिला ली है। अब महदेवा गांव के ही विशेषरपुर मौजा में कटान करते हुये करीब 100 एकड़ भूमि भी नदी में विलिन हो गयी है। बीते अगस्त 2021 में महदेवा के खास टोला की ओर तेजी से बढ़ रही नदी महज 15- 20 मीटर ही पहुचा था कि नदी में पानी का एकाएक बढोत्तरी से कटान रुक गया, तथा नदी की पानी कम होने पर कटान का रुख पड़ोसी प्रान्त बिहार के भैसहा की ओर कर दिया। जो बीते एक सप्ताह से नारायणी की रुख महदेवा गांव के मौजा विशेषपुर की ओर किया है। जो वहा के केला व गेहूँ की फसल समेत खेत को लील रहा है। जिससे किसान चिन्तित है। वही विधान सभा चुनाव की तैयारी के कारण अधिकारी ध्यान नही दे रहे है।



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