लेखक-हरीश सिंह
लोकतन्त्र के परतन्त्र ब्यवस्था में आस्था का खेल इस कदर उफान पर चढ़ा की सियासत के खिलाड़ी मौके की नजाकत को भांपते हुये मन माफिक अपने सियासी सफर में बिना रोक टोक मन्जिल पर पार्टी का परचम बुलन्द कर दिये।हरतरफ सियासी उन्माद के आगाज का असर होने लगा!जाति बिरादरी ऊंच नीच को लेकर जन समर्थन जुटाने के लिये बैमनश्यता का बीज बिखेर दिया गयाऔर उसी के शानिध्य में तमाम राष्टरीय ज्वलन्त मुद्दा जो वर्षो से इस देश के परीवेश में नासूर बन चुका था उसको भुला दिया गया! सियासी आपरेशन शुरू हुआ तो जो गरीबों के खून चूस कर मौज मस्ती कर रहे थे छटपटाने लगे!लोगों को भड़का भड़का कर आन्दोलन कराने लगे! हालात इस कदर बिगड़ गया की गृह युद्ध का अन्देशा होने लगा?।मगर सियासत के चतुर खिलाडी के काला दांव से सब चीत्त हो गये! कश्मीर की शमशीर बदल गयी !अयोध्या की तकदीर बदल गयी! घसपैठीयो के होश ठीकाने लग गये!सियासी महारथियों के पसीने छूटने लगे!हरतरफ हड़कंप मच गया!बिपक्षी बगली झांकने लगे!माहौल बदल गया! फिर शुरु हुआ पूंजी पतियों की ताजपोशी का सिलसिला जनता पर कानून का शिकंजा कसकर खामोश कर देने का बढ़ गया हौसला? लग गयाआन्दोलन पर रोक अफसर शाही को छोड़ दिया गया बे रोक टोक !अंग्रेजी हुकूमत के तरह जनता पर बढ़ गया अत्याचार।जेल में ठूसे जाने लगे पत्रकार?मच गया हर तरफ हाहाकार!दर्द से कराहते जनमानस पर बे दर्द हो गयी सरकार? फिर भी आज जब सियासत की ताजपोशी के लिये मतदान खामोशी से चल रहा है सारे मुद्दे हो गये है दरकिनार?सियासत की नदी में आयी बाढ़ रफ्ता रफ्ता कम होने लगी है! झूठ की कश्ती साहील तक पहुंचने के पहले ही दम तोड़ने लगी है!धीरे धीरे समय करीब आ रहा है !जनमत के फैसले से मुस्कराता भाग्य लिये किसी का नसीबआ रहा है! सालभरकिसान आंदोलन सड़क पर चला कृषि कानून को वापस कराने के लिये सैकड़ों किसानों का बलिदान हो गया!मगर सब अन्त में सन्त ने धाराशाही कर दिया! माहौल बदल गया! हर आदमी दौरे इलेक्शन सब दर्द भूल गया! महंगाई की मार से मुफलिसी में मुश्किल घर परिवार की परवरिश हो गयी।जब भी कोई बड़ा मुद्दा जोर पकड़ता जिससे सरकार को क्षति पहुंच सकती एक नया मामला उछाल दिया जाता! जिसमे दब कर जमीनी मुद्दे गायब.हो जाते! किसान आंदोलन का मुद्दा गायब!वैक्सीन का मुद्दा गायब!अनगिनत मौत!चुनाव के नाम पर देश को कोरोंना देने का मुद्दा खतम! गंगा मै तैरती लाश का मामला खतम।हॉस्पिटल का मुद्दा गायब! एम्बुलेंस का मुद्दा गायब?पेट्रोल डीजल का मुद्दा खतम! गैस सिलिडर महगांई खतम! बेरोजगारी का मुद्दा खतम!आपको वहीं दिखता है जो दिखाया जाता है?देश की जनता के लिये चाईना का हमला! पाकिस्तान का आतंकी मामला की अफवाह काफी है! इस अफवाह के बीच जमीनी मुददो के साथ ही तमाम ज्वलन्त समस्याओं को दफन कर दिया जाता है।आज देश के पांच प्रदेश मे चुनाव चल रहा है! सियासी गलियारे मे हल्ला मच गया! इस बार बदलाव की तपिश तगड़ी है! फीर भी कमल खिल रहा है! जगह जगह साईकील का झून्ड निकल रहा है! बगावत में भी मिलावट है!अन्दर कुछ बाहर कुछ दिखावट है।मतदाता जहां जाति बिरादरी पर के नाम पर मुस्करा रहा है!वहीं सियासी धरातल पर आज भी मजबूती के साथ खिलखिलाता कमल आ रहा है! सियासी पड़ींत सारे गुणा गणित को बैठाने के बाद इस सच्चाई को स्वीकार कर चुनावी जंग को तेज कर दिये है।सबसे अहम सवाल है बिपक्ष के पास लोक जनमत का आधार केवल जातिवाद के सूत्रों पर कायम हैं? जब की वर्तमान सरकार बिकाश अपराध नियंत्रण महीला सुरक्षा गरीबों के घर घर मुफ्त राशन के नाम पर मुद्दा जाति बिरादरी से हटकर सबका डट कर मुकाबला कर रहा है। तीन चरण का चुनाव हो गया है! चौथा चरण में किसको जन समर्थन मिलता है वहीं ताजपोशी के लिये रास्ता बनायेगा! यूपी के चुनाव में कुछ अजूबा होगा यह हर आदमी चर्चा कर रहा है।मतदाता खामोश है! शहर से लेकर गांव गिराव में कहीं पहले जैसे मतदाता नहीं दिखा रहा जोश है! कानून का पहरा सख्त है! ताजपोशी के लिये पलक पांवड़े बिछाये इन्तजार कर रहा वक्त है?बस जागरूक मतदाता अब इस सवाल पर मन्थन कर रहा है कि किसका समर्थन करें! आतंकवादीयो को संरक्षण देने वालो का समर्थन करें!या राष्ट्रवादी फैसला लेने वालों का खैरमकदम करें! भारत का भविष्य किसकी सरकार में सुरक्षित है!सरकार बनी नहीं उन्मादी नारों से आसमान गूंजने लगा! बदलता भारत दिखने लगा!सोचिये समझिये मतदान जरुर किजीये !आप का फैसला भारत के भविष्य का निर्माण करेगा!जैसा बीज बोयेगे फसल वैसी ही पायेगे!मतदान के पहले जरा रुकीये! दिल से पूछिये !फीर बटन मगन होकर दबाईये!भारत का भविष्य बनाईये?
खुद बागबां ही गुलशन, अपना काट रहा है, दवा के नाम पर ,हकीम जहर बाँट रहा है!

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