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बस अब बहुत हो गया पत्रकार उत्पीड़न अब बर्दाश्त नही – घनश्याम प्रसाद सागर

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पत्रकार उत्पीड़न की समस्या तब तक समाप्त नही होगी जब तक सभी पत्रकार आंतरिक रुप से तैयार नही होंगे

संविधान मे पत्रकारिता को लिपिबद्ध कर चौथा स्तम्भ घोषित करे सरकार मौखिक स्तम्भ स्वीकार्य नही

दिलीप कुमार भारती

कुशीनगर । सर्वहितकारी पत्रकार महासंगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद सागर ने भारत सरकार पर विफरते हुए कडी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बस बहुत हो गया पत्रकार उत्पीड़न अब बर्दाश्त नही श्री सागर ने कहा कि भारत सरकार बिना देर किए संविधान मे पत्रकारिता को लिपिबद्ध कर चौथा स्तम्भ घोषित करे अब किसी भी कीमत पर मौखिक स्तम्भ स्वीकार्य नही है आजादी के 75 सालों मे पत्रकारिता आज भी कथित तौर पर मौखिक रुप मे ही चौथा स्तम्भ परिभाषित है आज तक यह संविधान मे चौथा स्तम्भ लिपिबद्ध तक नही है जबकि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका संविधान के विधिक अंग होकर वेतन,भत्ता, पेंशन सहित तमाम सुविधाएं प्राप्त करतें है जबकि पत्रकार को फूटी कौडी तक नही दी जाती है ना ही सुरक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाएं ही दी जाती है जबकि पत्रकार के बगैर सार्वभौमिक लोकतांत्रिक ब्यवस्था अपूर्ण है ।

उक्त उद्गार एक पत्रकार वार्ता के दौरान सर्वहितकारी पत्रकार महासंगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ब्यक्त किए श्री सागर ने कहा कि पत्रकार के हाथ समूचे लोकतंत्र का प्राण सत्य लेखनी होता है जिससे वह जनसामान्य और सरकार के बीच सूचना सेतु का महत्वपूर्ण कार्य करता है निःशुल्क सच्ची समाजसेवा का अलख जगाकर शासन व्यवस्था मे जान डाल देता है मगर अफशोस भारतवर्ष मे आज तक किसी दल की केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकारोँ ने कोई कदम नही उठाया है जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है चुनावों मे तमाम राजनैतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों मे पत्रकारहित मे कोई योजनाएं नही होती केन्द्र अथवा किसी भी राज्य सरकारों ने आज तक कभी भी अपने वजट मे पत्रकारों के लिए कोई भी वजट आजतक नही दिया ।
इस तरह की दोहरी नीति से भारत वर्ष मे पत्रकारिता मे लगे लगभग 14 करोड लोगों के लिए घोर अन्याय है सर्वहितकारी पत्रकार महासंगठन के इन मांगों पर यदि सरकार शीघ्रातिशीघ्र विचार नही किया तो सर्वहितकारी परिवार राष्ट्रीय स्तर पर वृहद रुप से कलम रोको आंदोलन करने को वाध्य हो जायेगा भारतवर्ष के प्रत्येक राज्यों के प्रत्येक जनपदों मे जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों को जनपदों मे कार्यरत सभी पत्रकार संगठनों को संज्ञान लेना चाहिए और संगठनों मे शामिल पत्रकार सदस्यों की सूची तलब कर प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा, सुविधा और अन्य सुविधाएं दिये जाने का निर्देश केन्द्र सरकार द्वारा दिये जाय किसी भी कीमत पर अब पत्रकार उत्पीडऩ सहन नही किया जायेगा।

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