रिपोर्ट-कृष्णा पंडित
वाराणसी।धर्म अध्यात्म और अपने आप में अविनाशी काशी सचमुच में देवनगरी है जहां मृत्यु भी मोक्ष की डगर को आसान करती है..…
चौंकिए मत यह मोदी जी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है जहां पुलिस की व्यवस्था दुरुस्त है एक तरफ काशी के घाटों पर युवतियों द्वारा बियर पीने का फोटो वायरल हुआ वहीं दूसरी तरफ थाना सिगरा अंतर्गत विजयनगरम मार्केट का यह वीडियो तो ठंड में धमाल मचा रहा है आप देख सकते हैं कि कितनी दुरुस्त पुलिसिंग और उसकी कार्यशैली है खुले में सड़क पर युवकों द्वारा बीयर का सेवन जबकि चार कदम की दूरी पर रोडवेज चौकी स्थित है आप आगे आप समझदार हैं रोडवेज इलाके में 70% से ज्यादा अवैध तरीके का काम संचालित हो रहा है जैसे अवैध होटल संचालन अवैध स्टैंड वसूली तो जबरदस्त होती है वाराणसी का यह क्षेत्र बड़ी मशहूर है जहां आज कल रात्रि में रोड पर वेश्याएं भी सक्रिय दिखती हैं लेकिन पुलिस है कि उसको कुछ दिखती ही नहीं पर्यटन की दृष्टि से बाहर से आए हुए लोगों के लिए थोड़ा अटपटा सा लगता है और तो और काशी धर्म स्थली जो सनातन धर्म और अध्यात्म की नगरी है जहां वेदों से उपनिषदों से इसका अपना एक रिश्ता है जहां देवताओं द्वारा इस शहर को बसाया गया जिसकी जागृति जीवंत है जिसके कण-कण में शिव का वास है आज कुछ चंद लोगों द्वारा इसका उपहास उड़ाया जा रहा है गलत कृत्यों से जिस पर कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है जो काशी की गरिमा को तार-तार कर रहा है कमिश्नरेट होने के बाद भी पुलिस की हालत वैसी की वैसी है जहां प्रदेश की शासन निरंतर माफियाओं पर अंकुश लगाने का कार्य कर रही है ! वहीं दूसरी तरफ पुलिस बेलगाम होकर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है यदि किसी भी घटना क्रम में सत्यता से जांच किया जाए तो पुलिस की कार्यशैली पुलिसिंग के मानक के विपरीत ही पाई जाती है आखिर क्यों जब सरकार आपको इतनी संसाधनों से सुव्यवस्थित कर सुरक्षा के लिए तैयार कर रही है तो आपको भी कहीं ना कहीं अपनी जिम्मेदारी कंधे पर लेकर निर्वहन की आदत में शुमार कर देना चाहिए ज्यादा तो देखा जाता है कि बड़े बड़े अधिकारी सुनियोजित तरीके से फोटो और वीडियो खिंचवाते नजर आते हैं जिससे उनका सामाजिक दायरा तो बढ़ जाता है लेकिन इंसानियत का रुतबा वही रहता है यदि सच में आप धुरंधर सामाजिक कार्यकर्ता हैं देश और समाज के हित के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं तो आपको निश्चित रूप से आम जनमानस की सुरक्षा संरक्षण और उनकी देखभाल के लिए काशी जैसे शहर में बाबा विश्वनाथ ने भेजा है आज भी काशी में ऐसे लोग हैं जो रात्रि में बिना किसी को बताए ठंड में ठिठुरते लोगों के लिए कंबल का वितरण और भोजन उपलब्ध कराते हैं जिनकी कभी कोई फोटो हमको आपको देखने को नहीं मिलती है यही नहीं उनके द्वारा समाजिक कार्य और दूसरे की मदद निरंतर की जा रही है इस उम्मीद पर की इंसानियत जिंदा रहे यही है वह महात्मा सात्विक संत और बेहतर इंसान जिनको आम जनमानस अपने ही जैसे बारंबार प्रणाम करता है काशी की माटी अपने होने के गौरव के साथ उनके इस भाव को नमन करती है यही नहीं बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद और प्यार ऐसे लोगों को निरंतर मिलता है !
जिसका भाव सिर्फ मदद होता है बदलाव होता है ना की कोई प्रभाव…
जिंदा शहर बनारस जिसकी अपनी धुन है
कब कहां कौन कैसे मिल जाए फिर ऐसी तरंगे आपके मन में विकसित हो जाए जिससे जीवन का होना सफल हो जाए यह वही शहर बनारस है यहां तेज गति से चलने वाला मन की गति भी आकर थम जाता है और बाबा के धाम मां गंगा में डुबकी लगाकर अर्थात स्नान कर पाप से मुक्ति का मार्ग ढूंढ लेता है यह वही शहर बनारस है जहां मरने की अंतिम इच्छा मोक्ष की डगर को तय करता है जहां मरना भी स्वर्ग की भांती होता है जिसके लिए शुद्ध आत्मा और शुद्ध नियति व्यक्ति के विकास और परंपरागत धैर्य की परीक्षा लेती है लेकिन बाबा विश्वनाथ की नजर सब पर होती है भरपेट खाना और रहने को घर सबको देते हैं कोई हो ना हो बाबा सबके साथ होते हैं कई सारी ऐसी कहानियां सुनने को मिलती हैं ! जिनको पढ़ने के बाद ऐसा लगता है जैसे सचमुच में यह शहर बाबा भोलेनाथ का पसंदीदा और उनके भक्तों के लिए ही बसाया गया है जहां शंखों की गूज जहां रसों का पान और जहां सुबह सुबह सूरज की किरणों की अठखेलियां मां गंगा की परत को छूते हुए जब शहर में प्रवेश करती है तो मानो सांसारिक जीवन का एक सार प्रेम पूर्वक दिनचर्या के लिए तैयार होता हो जहां माथे पर तिलक लगाए मस्तिष्क पर पंडित्य धारण किए चलायमान गति से निरंतर धार्मिक और सामाजिक उत्थान के लिए शहर विश्व में अलख जगा रहा हो वहां आज पर्यटन अपनी धुन में काशी की पहचान बढ़ा रहा है काशी कॉरिडोर धाम के उद्घाटन के बाद निश्चित रूप से यह शहर अपने आप में जिंदा शहर जीवंत और देवों का धाम हो गया है..!!
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