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मनरेगा योजना में मची लूट खसोट

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सूत्रों की माने तो मस्टरोल जारी कर लाखों रुपया का हो रहा वारा न्यारा

साफ संदेश,संतकबीरनगर। योगी सरकार के अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार को रोक पाने में नाकाम दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अकेले कितना भ्रष्टाचार रोकेंगे क्योंकि सही आंकड़ा देने में इनके अधिकारी व कर्मचारी अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं करते। सरकार का रुपया कैसे बर्बाद किया जाता है, इसके लिए जमीनी हकीकत जानी पड़ेगी। विकास विभाग के लिए सरकार तमाम योजनाएं लाती हैं, जिसके प्रत्येक कार्यों पर कितना रुपया खर्च होना है, उसके लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को मानिटरिंग करनी होती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी काम को 8 दिन में 6 मजदूर पूरा कर लेते हैं तो उस काम का रोज के हिसाब से 1278 रुपया मजदूरी लगता है। इस तरह 8 दिन का ₹10224 में पूरा काम हो जाता है, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों की मेहरबानी से इनका मस्टररोल निकलता है 96 मजदूरों का। वह भी जब तक इनके ग्राम प्रधान का मन होगा, तब तक इनका मस्टररोल चलता रहेगा। 96 मजदूर रोज के हिसाब से 20,448 रुपया सरकार का प्रतिदिन का चूना लगा रहे हैं। यदि मस्टर रोल 20 दिन ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, सचिव, टीए, एपीओ व बी डी ओ की मेहरबानी से चला दिया तो ₹4,08960 सरकार का खारिज हो जाएगा, और सब में बंदरबांट हो जाएगा। ऐसा ही मामला विकासखंड बेलहर कला के भीखाडाड ग्राम पंचायत का है जहां मस्टररोल में चार काम पर 96 मजदूर चल रहे हैं, लेकिन मौके पर पंचायत भवन निर्माण कार्य पर 10 मजदूर कार्य करते मिले। मौजूद मजूदरों द्वारा किसी के पास जॉबकार्ड नही पाया गया, और न ही मेट द्वारा हाजिरी रजिस्टर दिखाया गया। वही जब मजदूरों से उनका नाम पूछा गया तो वह भी कही न कही मुह चुराते मिले। इससे कही न कही लगता है कि वो भी मनरेगा मजदूर नही थे, और मौके पर कोई मजदूर व कार्य नजर नहीं आया। दूसरा कार्य मस्टररोल के हिसाब से भीखाडाड चौराहे से बढ़या लाला पुलिया तक सड़क के दोनों तरफ मिट्टी पटाई कार्य चल रहा है, वहा भी मौके पर न काम है न मजदूर। तीसरा काम बढ़या लाला पुलिया से दुल्हिपार बॉर्डर तक सड़क के दोनों तरफ मिट्टी पटाई कार्य चल रहा है, उस पर भी मौजूदा हाल में न कोई मजदूर न कोई काम। चौथा कार्य भी भीखाडाड में पक्की सड़क से शिवपाल के खेत तक इंटरलॉकिंग कार्य चल रहा है, जिसका काम पूरा तो हो गया लेकिन मानक विहीन, ऊपर से अभी भी मस्टररोल चल रहा है। ऐसे कितने लाखों रुपए का वारा न्यारा किया जाता है सरकार का, इसका जिम्मेदार कौन है ? जिस कार्य को देखने के लिए सरकार ने सरकारी आदमी को लगाया है, वह केवल मोटी तनख्वाह लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाता है। भ्रष्टाचार की गंगा इस तरह बह रही है, जिस पर कोई जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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