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सीता-राम विवाह की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

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जगतपुर रायबरेली।सिद्ध पीठ झारखंडेश्वर टांघन शिव मंदिर के प्रांगण में राम कथा आयोजन के छठवें दिन कथावाचक सुरेंद्रनाथ ने सीता राम विवाह की कथा सुनाई, जिसको सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। कथावाचक ने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। जिसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा ली, कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। समय पर स्वयंवर की कार्रवाई शुरू हुई, और एक – एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ानें लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने राम जी के गले में वरमाला डाल कर अपने पति के रूप में स्वीकार किया। सीता की विदाई हुई, जनकपुर से जब सीता जी की विदाई हुई तब उनके माता-पिता ने ससुराल में कैसे रहना है। इसकी सीख दी। प्रत्येक माता पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। कन्या को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ससुराल व मायका दोनों कुल कलंकित न हो। इस मौके पर दादा शिवआधार त्रिवेदी, डॉ राघवेंद्र शुक्ला, मीडिया प्रभारी दीपक कुमार, सुरेंद्र द्विवेदी, राकेश त्रिपाठी, बाबू शंकर, जय शंकर, राजन द्विवेदी, मुन्ना सिंह आदि मौजूद रहे।

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