संत कबीर नगर (बेलहर कला)। वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2021-22 के मनरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के भौतिक सत्यापन के क्रम में बहुउद्देशीय सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में बड़े पैमाने पर टीम द्वारा लापरवाही बरती जा रही है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक तरफ जहां दो दिनों के भौतिक सत्यापन में नियम की अनदेखी की जा रही है, वहीं मूल उद्देश्य एक तिहाई जनसंख्या को दरकिनार कर महज ग्राम प्रधान के चहेतों के बीच में किया गया बैठक ।जिसका उदाहरण विकास खंड बेलहर कला अंतर्गत ग्राम पंचायत मुंडेरी है।

जहां पर दो दिनों के भौतिक सत्यापन में टीम द्वारा नियम की अनदेखी में स्थलीय निरीक्षण किया गया। वहीं सोशल ऑडिट बैठक में हद तो तब और हो गई जब एमआईएस रिपोर्ट के सत्यापन में सोशल ऑडिट टीम द्वारा स्वयं पढ़ा-सुना गया एवं हामीं भरा गया।

मिडिया द्वारा पूछे जाने पर बीआरपी खलीक द्वारा बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 914 मानव दिवस के साथ 12 कच्चा कामों का भौतिक सत्यापन किया गया । जिसमें कुल खर्च 56660 रूपयें बताया गया, वहीं आवास लाभार्थी रीता, साधना आदि के 90 दिनों की मजदूरी के सापेक्ष 48 दिनों का मजदूरी भुगतान बताया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक इंटरलॉकिंग कार्य, निर्माणाधीन पंचायत भवन, तीन स्थानों पर शून्य वृक्षारोपण सहित 11 काम मेड़बंधी के कुल धनराशि 416814 में 3694 मानव दिवस में होना बताया गया। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर किसानों के मेड़बंदधी व क्षेत्रफल की जानकारी देने में टीम द्वारा हाथ ऊपर कर लिया गया। इंटरलॉकिंग के भौतिक सत्यापन में माप विधि का कोई प्रयोग नहीं किया गया। जिससे कहीं ना कहीं ये लगता है कि स्थलीय निरीक्षण में घोर लापरवाही बरती गई है। जो यह भी निश्चित करता है कि मास्टर रोल के मुताबिक मनरेगा मजदूरों द्वारा काम नहीं किया गया है उनके भौतिक सत्यापन में भी घोर लापरवाही की गई है।



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