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श्री भागवत कथा सुनकर श्रोताओं की आंखों से बहने लगी अश्रु धारा

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रिपोर्टर-डॉ संजय तिवारी

बाराबंकी । जनपद की तहसील रामनगर अंतर्गत किशुनपुर गांव में रैकवार ठाकुरद्वारा स्थापना स्वर्ण जयंती के 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम में लखनऊ से पधारे कथावाचक पंडित सुधाकर व्यास जी महाराज ने षष्टम दिवस में रासलीला उद्धव-गोपी संवाद की कथा का बड़ा ही सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गोपिकाओं को निराकार ब्रह्म की उपासना करने व निराकार भक्ति समझाने के लिए भेजा था किंतु गोपिकाओं के कृष्ण प्रेम को देखकर उधव ठगे से खड़े रह गए।गोपिकाओं ने कहा हे ऊधौ! मेरे तो एक ही मन था सो श्रीकृष्ण ले गए, अब मेरे पास कोई और मन शेष नहीं, मैं किस मन और हृदय से निराकार भक्ति करूं। हे उद्धवजी !जरा मुझे बता दो, यह निर्गुण क्या है? यह किस देश में रहता है? मेरा मन तो श्याम रंग में लगा हुआ है। मुझे उस श्याम छलिया ने छल लिया। हे उद्धव! मुझे बताओ तो क्या श्याम ने मुझे बुलाया है? कोई गोपिका उद्धव को खींचते हुए कहती कि क्या मुझे भी श्याम ने याद किया है? गोपिकाओं की श्याम के प्रति व्याकुलता को देखकर व विभिन्न प्रकार से प्रेम भरे वचनों को सुनकर के उधव निरुत्तर रह जाते हैं।कथा व्यास ने कहा कि जिस व्यक्ति पर एक बार श्याम रंग चढ़ जाता है उसमें फिर कोई दूजा रंग समाहित नहीं होता। इस अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा के आयोजनकर्ता कैलाश बख्श सिंह(छेदी सिंह), श्री ओम सिंह(क्षेत्र पंचायत सदस्य), कमलेश पांडे, रामशरण पाठक(पूर्व चेयरमैन), आनंद सिंह, रमेश सिंह ,जितेंद्र प्रताप सिंह, राजेंद्र सिंह, शक्ति सिंह, हरिओम सिंह ,सहित सैकड़ों श्रद्धालु तथा श्रोता गण उपस्थित रहे ।

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