रिपोर्टर-गणेश प्रसाद चौरसिया (ब्यूरो चीफ)
संतकबीरनगर :संतकबीर स्थली मगहर में सद्गुरु कबीर साहब के 504 वां महापरिनिर्वाण दिवस शनिवार को मना। अत्यात्मिक सत्संग से वातावरण भक्तिमय बना रहा। कबीरपंथियों ने सुबह पाठ करके समाधि व मजार पर मत्था टेका। कबीर चौराहा परिसर में ध्वजारोहण सौहार्द का संदेश दिया गया। सत्संग में महंत विचार दास ने कहा कि साहेब कबीर एक ऐसे संत है जिन्हें सभी धर्मो के लोग समान रूप से सम्मान देते हैं। सद्गुरु कबीर के समय में समाज आडंबर व पाखंड के दलदल में फंसा था। उन्होंने अपनी वाणियों के माध्यम से मानव जीवन को आडम्बर व पाखंड से मुक्त कराते हुए परमआत्मा की शक्ति का बोध कराया। स्वर्ग का स्थान कहे जाने वाले लहरतारा में प्रकट हुए सदगुरु कबीर ने मगहर आकर मगहर और काशी में रहने से के स्वर्ग और नरक मिलने वाले मिथक को तोड़ा। कबीर स्थली पर चाैका-आरती का कार्यक्रम हुआ। सुख-दु:ख दोनों क्षणों में सामंजस्य रखकर आड्म्बरों से दूर रहने का आह्वान किया गया। विश्वबंधुत्व संस्थान की सीमा विश्चंभरा ने कहा कि काशी छोड़कर मगहर आकर एकजुटता का संदेश व मार्गदर्शन का कार्य किया। ऊच-नीच, भेदभाव, छुआछूत व धर्म के विभेद को दूर करके मानवता के प्रति प्रेरित किया। जिससे समाज में प्रेम को फैलाया जा सके। इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म बताया। आज पूरी दुनिया कबीर के विचारों को आत्मसात कर रही है। उनके विचार कल प्रासंगिक थे आज भी हैं। इस मौके पर संत अरविंद दास, पुजारी शांतिदास, प्रहलाद भाई, डा. हरिशरण शास्त्री, साहेब दास, केशव दास, लाल बाबा, डा. राजेश पांडेय, दीनदयाल, विवेकदास, कन्हैया, राजकुमार शर्मा, भानु प्रताप दूबे, विध्यवासिनी वर्मा, सुमन देवी, राजमन, विभव दास सहित मध्य प्रदेश, वाराणसी,राजस्थान, गुजरात के साथ विभिन्न स्थानों के साधु संत व भक्त मौजूद रहे।



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