सिद्धार्थनगर- आये दिन जमीन के मामले को लेकर विवाद की स्थिति पैदा होती रहती है जिसके चलते मारपीट कत्ल जैसी घटना भी हो जाती है वही कुछ मामलों में महिला उत्पीड़न को दिखाकर भी लोग बेवजह प्रशासन बेगुनाहों को गुनाह के मामले में जेल भेजने का काम करती है जिसमे सही जांच न होने से मामला यू ही लंबित रह जाता है जो राजस्व से अपराध का रूप ले लेता है ।

ऐसा ही एक जमीन का मामला जिले के नौगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम सभा धेन्सा नानकार का भी है जहाँ दो पक्षो के बीच आवादी की जमीन को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है प्रथम पक्ष रेखा पत्नी बुद्धिसागर एवं चंद्रकांत पुत्र सीताराम का है जिसमे रेखा के घर के सामने आवादी की जमीन है जिस पर रेखा का कब्जा है वही चंद्रकांत इस बात का दावा कर रहे है कि मेरा खलिहान है इसी बात को लेकर मामला कोर्ट में गया जब जांच की गई तो कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए रेखा के पक्ष में फैसला दिया और उक्त जमीन रेखा को देने का आदेश किया बाद में जब रेखा ने उक्त जमीन में तहसीलदार के सामने दीवार खड़ी की तो प्रशासन के जाने के बाद चंद्रकांत पक्ष ने उक्त दीवार को गिरा दिया जिसके बाद दोनों पक्ष ने थाने पर मुकदमा पंजीकृत करवाया लेकिन संबंधित थाने ने रेखा के पक्ष में दिए कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई कार्यवाही नही की और पीड़ित को इधर उधर जाने के बात कर टहलाते रहे वही थाने पर मुकदमा लिखने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नही की पीड़ित ने कहा कि थाने पर कहा गया कि हम खड़े होकर जुड़वा देंगे लेकिन मौके पर कोई नही पंहुचा पीड़ित ने एक बार पुनः इस मामले में उपजिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से अवगत कराया लेकिन कोई भी उचित कार्यवाही नही हो पाई जिला न्यायालय के आदेश का पालन करवाना जिला पुलिस और प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन जिला पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़कर पीड़ित को इधर उधर भटकने पर मजबूर कर रहे है पीड़ित ने बताया कि कही ऐसा न हो कि इस मामले में विपक्ष के लोग हमें कोई नुकसान पंहुचा दे जिसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।



More Stories
द्वाबा महोत्सव अब 14 से 18 नवंबर तक — पदयात्रा कार्यक्रम के कारण बदली गई तिथि
डीएम , एसपी ने कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर श्रद्धालुओं के स्नानार्थ हेतु बिड़हरघाट का स्थलीय निरीक्षण कर तैयारियों का लिया जायजा
विधानसभा धनघटा की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का माध्यम बनेगा द्वाबा महोत्सव : नीलमणि