संत कबीर नगर।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा है कि स्ववित्तपोषित विद्यालयों के शिक्षकों को प्रयोगात्मक परीक्षा में परीक्षक बनाने से वंचित करना अन्याय पूर्ण है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ इसका पुरजोर विरोध करेगा। श्री द्विवेदी मंगलवार को ए.एच. एग्री. इंटर कॉलेज दुधारा में माध्यमिक शिक्षकों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। श्री द्विवेदी ने कहा कि प्रदेश की 80 प्रतिशत शिक्षा व्यवस्था स्ववित्तपोषित विद्यालय के शिक्षकों के द्वारा संचालित किया जा रहा है। ऐसे शिक्षकों को प्रयोगात्मक परीक्षा से वंचित करना नाइंसाफी होगी। स्ववित्तपोषित विद्यालयों के शिक्षक मूल्यांकन, प्रयोगात्मक परीक्षा में और बोर्ड परीक्षा के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें संदेह की दृष्टि से देखना उचित नहीं है। उन्होंने बताया की नवीन व्यवस्था के अंतर्गत केवल राजकीय एवं सवित्त विद्यालयों के ही अध्यापक को परीक्षक नियुक्त किया गया है।इस प्रकार छात्र-छात्राओं की प्रयोगात्मक परीक्षाएं जो सामान्य रूप से पहले उनके अपने विद्यालय में संपादित होती थी, वे परीक्षाएं इस वर्ष उनके लिखित परीक्षा केंद्र हेतु निर्धारित किए गए परीक्षा केंद्र पर संपादित होगी। कतिपय परीक्षा केंद्र जहां प्रयोगात्मक विषय की मान्यता नहीं है वहां पूर्व में आवंटित परीक्षार्थियों का परीक्षा केंद्र परिवर्तित कर दिया गया है। श्री द्विवेदी ने कहा कि बोर्ड परीक्षा के दौरान मौखिक निर्देश पर प्रदेश के सभी स्ववित्तपोषित विद्यालय के प्रधानाचार्य को केंद्र व्यवस्थापक पद से भी हटाया गया था जो सर्वथा अनुचित था, और अब प्रयोगात्मक परीक्षा के परीक्षक पद से वंचित किया जा रहा है। श्री द्विवेदी ने बताया कि परीक्षा वर्ष 2018 व 2019 के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बकाया पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है। मंडल के मूल्यांकन केंद्रों पर परीक्षकों का छप्पन लाख रुपया बकाया है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार संतकबीरनगर में 1531549, बस्ती में 2451338 व सिद्धार्थनगर में 1615018 सहित कुल 55 लाख 97 हजार 9 सौ 5 रुपया बकाया हैं।
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