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कृषक अन्नदाता – कृषि कार्य एक यज्ञ के समान – पर्यावरण और जल संरक्षण में कृषक समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान

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ग्रामीण शिक्षित युवा समुदाय का कृषि में अरुचि और शहरों में पलायन चिंतनीय – शिक्षित युवाओं को आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ कृषि क्षेत्र को दिलाना ज़रूरी – एड किशन भावनानी

गोंदिया – भारत एक कृषि व गांव प्रधान देश है। यह विश्व प्रसिद्ध है, परंतु साथियों कृषि क्षेत्र में अगर हम एक दो दशक पीछे की ओर जाएं और आज की स्थिति देखें तो मेरा मानना है कि युवाओं की कृषि में अरुचि और शहरों में पलायनके कारण कृषिकृत ज़मीन का हिस्सा बहुत कम हुआ है। गांव क्षेत्र का हिस्सा कम होकर शहरीकरण बढ़ा है। साथियों मुझे याद है हमारे घर के पास भी बंदियां थी और कृषि होती थी परंतु अभी दूर-दूर तक कृषि का नामोनिशान नहीं है। गांव क्षेत्रों में कृषि ज़रूर है, परंतु अपेक्षाकृत कम क्षेत्रों में है, इससे हम इंकार नहीं कर सकते!!! साथियों बात अगर हम तीव्रता से प्रौद्योगिकी विकास की करें तो हर क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास हुआ है। आज कृषि क्षेत्र भी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है परंतु समस्या यह है कि हमारे बुजुर्ग किसानों की अगली पीढ़ी की रूचि कृषि कार्यों में कम होकर सरकारी, निजी कंपनियों में नौकरियां और शहरीकरण की ओर बढ़ती जा रही है। इससे भी हम इंकार नहीं कर सकते!! मैंने स्वयं युवा कृषकों से बात की तो उन्होंने कृषि काम और कृषि सम्बन्धी कार्य अपेक्षाकृत कम फायदेमंद बताएं, जो चिंता का विषय है!! साथियों अब ज़रूरत आन पड़ी है कि हमारे युवा शिक्षित भाइयों को आधुनिक तकनीकी और प्रौद्योगिकी का पूर्ण उपयोग कृषि क्षेत्र में करना होगा। क्योंकि कृषि क्षेत्र सुगम होगा तो सृष्टि पर जीवन काल होगा यह हमें नहीं भूलना चाहिए!!! साथियों बात अगर हम कृषक और कृषि क्षेत्र की करें तो कृषक हमारे अन्नदाता हैं। कृषकों द्वारा किया जाने वाला कृषि कार्य एक यज्ञ के समान है जिसके सुखद परिणाम हम भोज़न के रूप में प्राप्त करते हैं। साथियों बात यहीं तक नहीं रुकती, कृषक पर्यावरण और जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। कृषक समूह अपनी बंदियों के धुरों पर वृक्ष लगाते हैं। कृषि कार्य को सफ़ल बनाने जल संरक्षण का कार्य भी करते हैं। साथियो बात अगर हम कृषि कार्य से होने वाली आमदनी की करें तो जोखिम को देखते हुए आमदनी बहुत कम है !! बस!!! यही कारण है हमारे युवा साथी कृषि कार्य से दूर भाग रहे हैं !!! हालांकि, हमारी केंद्र और राज्य सरकारें भी कृषकों और कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने में कम पीछे नहीं है। कृषकों का आत्मबल बढ़ाने, कई योजनाएं लागू करने, क्षतिपूर्ति करने, मानदेय, प्रोत्साहन, राशि स्कीम सहित अनेक योजनाएं लागू भी हुई हैं जो उनके बैंक खातों में डिजिटलाइजेशन के माध्यम से पहुंच रही है। परंतु फिर भी कहीं ना कहीं कोई कमीं ज़रूर रह गई है, जो युवाओं को कृषि क्षेत्र के प्रति आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, जो चिंतनीय है। केंद्र व राज्य सरकारों को कोई ऐसा माड्यूल लागू करने के लिए नीति बनानी होगी जिससे प्रोत्साहित होकर युवा अपने गांव ना छोड़े और खेती-बाड़ी के प्रति उनका उत्साह बढ़ता जाए, ऐसा प्रोत्साहन रूपी मॉड्यूल होना तत्कालीन ज़रूरी है। साथियों बात अगर हम देश के विकासमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की करें तो इसमें ग्रामीण क्षेत्र का अतिमहत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि देश में कार्यबल का अधिक प्रतिशत ग्रामीण भागों से ही आता है तथा उद्योगों, कल कारखानों, एमएसएमई में भी इस कार्यबल का महत्वपूर्ण योगदान है। साथियों बात अगर हम दिनांक 30 अक्टूबर 2021 को माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा एक कृषि प्रदर्शनी में कही गई बातों की करें तो उन्होंने भी कहा कि, ऐसे समय में जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी जरिए से विश्व की प्रगति हो रही है, कृषि पीछे नहीं रह सकती है। लिहाजा, इसे आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना होगा।कृषि को लाभदायक बनाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। किसानों को आधुनिकीकरण का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए प्रत्येक हितधारक को आगे आना चाहिए। कृषि को एक यज्ञ बताते हुए, उन्होंने भारतीय किसानों की आधुनिक विधियों को अपनाने की कोशिश करने और लाखों लोगों का पेट भरने उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए सराहना की। उन्होंने शिक्षित युवाओं से भी कृषि में रुचि विकसित करने और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कृषक समुदाय से पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। इस संबंध में उन्होंने प्रत्येक किसान को वृक्षारोपण और जल संरक्षण को महत्व देने की सलाह दी। उन्होंने निजी क्षेत्र से भी आगे आने और कृषि के आधुनिकीकरण में निवेश करने की अपील की। कृषि के आधुनिकीकरण पर व्यापक परिचर्चा की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और मीडिया को पहल करनी चाहिए। महामारी के दौरान अन्य अग्रिम पंक्ति के सिपाहियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने और देश में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए किसानों की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि उनके द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा अविस्मरणीय है। देश की प्रगति में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए आज कहा कि इसका किसानों की भलाई के साथ अटूट संबंध है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि कृषक हमारे अन्नदाता हैं तथा कृषि कार्य एक यज्ञ के समान है। पर्यावरण और जल संरक्षण में कृषक समुदाय का महत्वपूर्ण योगदानहै तथा ग्रामीण शिक्षित युवा समुदाय का कृषि में अरुचि और शहरों में पलायन चिंतनीय है इसलिए शिक्षित युवाओं को आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ कृषि क्षेत्र को दिलाना अत्यंत तात्कालिक ज़रूरी है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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