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श्रीराम महायज्ञ में श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

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रिपोर्टर-बी डी पाठक दुर्गेश मिश्र

काली जगदीशपुर में श्रीराम महायज्ञ का आयोजन।

संत कबीर नगर। विकास खंड नाथनगर के ग्राम काली जगदीशपुर मे मुख्य जजमान रामचंद्र दास के द्वारा श्रीराम महायज्ञ कराया जा रहा आयोजन। श्रीराम महायज्ञ कथा के छठे दिन कथावाचक साध्वी कृष्णा दासी ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहां की भगवान श्री कृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्री कृष्ण मैं अपनी लीलाओं में दिखाया भी था कि श्री राधा और वह दो नहीं बल्कि एक है । लेकिन देवी राधा के साथ श्री कृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया । देवी राधा के बाद भगवान श्री कृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुई। देवी रुक्मणी और श्री कृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है।इसकी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई । देवी रुक्मणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी।रूक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए

प्रसिद्ध थी। रूक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानी सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो उनके लिए

कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता- पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ । इस दौरान रामचंद्र दास, शिवनाथ चौधरी, लल्लन यादव, रामनारायण दुबे,

संरक्षक-राजनाथ यादव प्रधान प्रतिनिधि दसरौली

अध्यक्ष – बुढ़वा बाबा

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