साफ संदेश , संत कबीर नगर । पंडित परशुराम पाण्डेय ( ज्योतिषी ) ने होली कब मनाई जाए के संशय को किया दूर । उन्होंने बताया कि होली को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार पूर्णिमा के अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं, जबकि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा रहित मुहूर्त में रात के समय करते हैं। फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है। भद्रा गुरुवार की रात 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन गुरुवार के दिन भद्रा के बाद होगा । वहीं 14 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11 बजकर 12 मिनट तक है । पंचांग के अनुसार 14 तारीख को स्नान दान का पूर्णिमा है ।
काशी में 14 मार्च को होली का पावन पर्व मनाया जाएगा और देवी की यात्रा होगी काशी के अन्यत्र चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा में 15 मार्च को (बसंत उत्सव )के साथ खेली जाएगी । होली होलिका दहन रात्रि पूर्णिमा तिथि में और होली चैत्रकृष्ण प्रतिपदा में मनाने का विधान है। जहां पर उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है । वहां पर प्रतिपदा तिथि के अनुसार 15 मार्च को रंगभरीहोली मनाई जाएगी।
होलिका दहन पर करें ये काम –
होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजा के बाद उसमें आटा, गुड़, कपूर, तिल, धूप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले या गोइठा डाल कर सात बार परिक्रमा करने से परिवार की सुख-शांति, समृद्धि में वृद्धि, नकारात्मकता का ह्रास होता है। रोग-शोक से मुक्ति मिलती है व मनोकामना की पूर्ति होती है। होलिका के जलने के बाद उसमें यवऔर तीसीकी बाली को सेंक प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य अनुकूल होता है। बालाजी जीवन ज्योति सेवा केंद्र खलीलाबाद की तरफ से आप सभी लोगों को होली उत्सव की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ।



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