रिपोर्ट – हरीश सिंह
संत कबीर नगर – परियोजनाओ के शत – प्रतिशत क्रियान्वयन मे जहां अधिकारियो की जिम्मेदारी सुनिश्चित तौर पर होती है वही वित्तीय अनियमितता / भ्रष्टाचार के रोकथाम के साथ दो दिनो तक भौतिक सत्यापन कर पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही के क्रम में ग्राम पंचायतों में खुली बैठक का आयोजन करना सोशल आडिट टीम की नैतिक जिम्मेवारी होती है । लेकिन सोशल आडिट टीम द्वारा आडिट की विश्वसनीयता को ताक पर सोशल ऑडिट के नाम पर महज खाना पूर्ति किया जा रहा है । जबकि सोशल आडिट टीम को ग्राम पंचायतों में दो दिन तक पीएम आवास तथा मनरेगा के तहत हुए विकास कार्यों का भौतिक सत्यापन करना होता है लेकिन सोशल ऑडिट टीम के लोग बड़े मुश्किल से ग्राम पंचायतों में महज एक ही दिन जाते हैं और वो भी सत्यापन के नाम पर सिर्फ फोटो खिंचवा कर चले आते हैं। जिससे यह कहना कोई अतिश्योक्ति नही होगा की सोशल आडिट का आयोजन पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही के सुनिश्चितार्थ नही बल्कि ग्राम प्रधानों के शोषण का जरिया बन गया है ।



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