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श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रोता

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रिपोर्ट-ब्रम्हदेव पाठक/दुर्गेश मिश्रा

संतकबीरनगर। विकास खण्ड नाथनगर के ग्राम खिरिया में जयराम पाठक के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का कराया जा आयोजन।श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक विद्यासागर भारद्वाज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। इस दौरान जयराम पाठक,मायाराम पाठक,शिवराम पाठक,कैलाश नाथ पाठक,सिद्धनाथ पाठक,ब्रम्हदेव पाठक,सुरेंद्र बहादुर राय, प्रेम नारायण राय आदि मौजूद रहे।

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