ना डिग्री, ना डिप्लोमा फिर भी कर रहे हैं इलाज
रिर्पोट जावेद अहमद सेमरियावा
सेमरियावा। संत कबीर नगर जिले के सबसे बड़े ब्लॉक सेमरियावा क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इसकी खबर तक नहीं है। यूपी के जनपद संत कबीर नगर में स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में झोला छाप डॉक्टर फल-फूल रहे हैं. मरीजों के जीवन के साथ यहां खिलवाड़ किया जा रहा है. जिले में इसकी वजह कई मौतें हो चुकी हैं. बिना डिग्री-डिप्लोमा उपचार कर रहे हैं. विभाग के माध्यम से आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमारी टीम ने झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा किये जा रहे उपचार का अलग-अलग क्षेत्रों से कवरेज कर हकीकत का जायजा लिया। आपको बता दें कि, बदलते मौसम के चलते जनपद संत कबीर नगर के सैकड़ों गांव में वायरल फीवर और डेंगू जैसे खतरनाक बीमारी का प्रकोप चरम सीमा पर फैलने लगता है, तो वहीं इस बीमारी का फायदा उठाते हुए झोलाछाप चिकित्सक जिनके पास ना तो डिप्लोमा है और ना ही कोई डिग्री यहां तक संत कबीर नगर में कुछ डॉक्टर कक्षा 8 पास ही हैं, वह भी स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में फल फूल रहे, इसकी हकीकत का जायजा लेने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से कवरेज कर मीडिया ने हकीकत का जायजा लिया तो कवरेज के दौरान किस तरह के नजारे देखने के मिले आइए आपको बताते हैं.जनपद संत कबीर नगर के सेमरियावा ब्लॉक थाना दुधारा क्षेत्र के कस्बा कोइलसा गांव के फर्जी डॉक्टर रंगीलाल जो कभी डॉक्टर जगनारायण के यहां कंपाउंडर बनकर फोड़ा फुंसी व चीर फाड़ का काम करते थे, कुछ दवाएं सेंपल और जनरिक रहती है तथा जनरीक दवा और सेंपल की दवाएं भरपूर बेच कर लोगो की जेब ढ़ीली कर देते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन जैसे जैसे बढ़ते हैं वैसे वैसे झोलाछाप डाक्टर किसी तरह का मरीज हो उसको इलाज के लिऐ ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए 200 से 300 रुपए लेते है,जो ग्लूकोज की बोतल लटकाते है वो किसी टीन सेड, या रस्सी, पाइप के सहारे चढ़ा देते है। इन दिनों निजी क्लिनिक खोलकर फोड़ा फुंसी के अलावा डेंगू और वायरल फीवर के साथ- साथ अन्य रोगों का उपचार करते हुए नजर आ रहे हैं, जबकि उनके पास कोई भी डिग्री और डिप्लोमा नहीं है। कस्बा बाघनगर, उसरा शहीद, सेहुडा, कोइलसा, पैड़ी, चीउटना, करही, दानुकोइया, नववागाओ, ऊंचाहरा, बूढ़ाननगर समेत गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 30 साल के बीच है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है। झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है। ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है। झोला छाप डाक्टर के द्वारा केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं। बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना और बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। कुछ झोलाछाप डॉक्टरों ने ब्लैड जांच के लिए अपना अपना लैब फिक्स कर लिए और कमीशन भरपूर लेते हैं। *आख़िर स्वास्थ विभाग कब आएगा एक्शन मूड मे*
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