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मनरेगा में कागज में काम चल रहा कुछ,धरातल पर कुछ और नजारा

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संवाददाता-हरीश सिंह

संतकबीरनगर।मनरेगा योजना के तहत विकास खण्ड सेमरियावां में फर्जी मानव दिवसों का सृजन कर सरकारी राशि की बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो रही है।मनरेगा ग्राम पंचायत स्तर पर जहां कागज पर तो मजदूरों को काम करते हुए दिखाया गया है, लेकिन धरातल पर उक्त कार्य अवधि में उनके काम करने का साक्ष्य मौजूद नहीं है।

ताजा उदाहरण स्थानीय मुड़ाडिहा बेग ग्राम पंचायत का सामने आया है।जहाँ पर ग्राम पंचायत में मुड़ाडिहा बेग ऑनलाइन 83 मजदूरों को तीन काम पर पहला हगनी गड़ही से पोखरे तक नाला खुदाई कार्य,दूसरा प्रधानमंत्री आवास में मजदूर का कार्य तथा तीसरा चिकनी गड़ही खोदाई का कार्य ऑनलाइन दिखाया जा रहा है लेकिन धरातल पर उस ग्राम पंचायत में उस अवधि में काम पर लगे मजदूर नही मिले।गांव के लोगो से जब इसकी जानकारी ली गयी तो उन लोगों ने बताया कि प्रधान द्वारा मुड़ाडिहा बेग के सीवान में चकरोड पटाया जा रहा है।जब उस स्थान पर पहुंचे तो लोग कार्य करते  दिखे।जब इसकी जानकारी प्रधान से ली गयी कि क्या आपको चकरोड पटाने की  कार्य की स्वीकृति मिली है तो उन्होंने इसकी जानकारी ब्लॉक से लेने को कहा। प्रावधानों के मुताबिक मनरेगा के तहत कोई कार्य होता है तो मौके पर ही कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित तथा प्राधिकृत मस्टर रोल को कार्य के दौरान कार्य स्थल पर रखा जाता है और रोजगार सेवक या मेट उस पर मजदूरों की हाजिरी बनाते है।सम्बंधित पंचायत के तकनीकी सहायक अथवा अभियंताओं द्वारा किए गए कार्य की मापी भी होती है और उसे एमबी बुक में अंकित किया जाता है।

एपीओ- मदन गोपाल सेमरियावां

जब इसकी जानकारी ब्लॉक के एपीओ मदन गोपाल से ली गयी तो पहले मौखिक तौर पर उक्त कार्य न होने की बात कहि लेकिन जब उनसे बाईट लिया गया तो उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत कोई भी कार्य पहले स्वीकृति ली जाती है स्वीकृति मिल जाने के बाद जब मास्टर रोल जारी होता है तब कार्य होता है।फिर जब उनसे पूछा कि गया कि मुड़ाडिहा बेग कौन सा कार्य चल रहा है तो उन्होंने साइट न चलने का बहाना कर पल्ला झाड़ लिए तथा कहे कि जब साइट चलेगी तब बता पायेंगे। फिर जब कहा गया कि ऑनलाइन चकरोड का कार्य नही दिखा रहा तो उन्होंने ने कहा कि साइट चलने के बाद उसकी जांच कर ऐसा पाया गया तो उचित कार्यवाही की जायेगी।अब यदि अधिकारी की बातों को सच माने तो मनरेगा के कार्यक्रमों के ऑनलाइन दस्तावेजीकरण और पारदर्शिता के प्रावधान औचित्य हीन साबित होने लगते है।इससे इस आशंका को भी बल मिलता हैं कि मनरेगा में बड़े पैमाने पर घोटाला चल रहा है,जिसका आयाम सृजन घोटाला भी काफी बड़ा है।सूत्रों कि माने तो मजदूरों को कागज पर काम करते हुए दिखा कर फर्जी मानव दिवसों के जरिए सरकारी राशि की लूट खसोट की जा रही है।

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