आई ए एस रवीश गुप्ता
जिलाधिकारी सुल्तानपुर
जब जुस्तजू
नूर मे
सूर्य को
देखा गया
जब प्रेम
आकाश मे
सौहार्द को
देखा गया
तब दर्पण के
सीरत मे
रवीश को
देखा गया
सौम्यता के
आंगन मे जब
न्याय का
दस्तक हुआ
तब व्रत के
पंजीयन मे
रवीश को
देखा गया
कोई पर्व के
आंचल मे
जब गूंथने का
प्रयत्न किया
तब दीप
अवली अंकन मे
दीपावली का
नाम दिया
कोई प्रभात के
दर्शन मे जब
दिव्य तेज का
भान किया
तब उजेर की
दुनिया मे
दिनकर का
नाम दिया
कोई कसौटी के
तुले पर
कसने का
भरसक
प्रयत्न किया
तब न्याय के
निसबत मे
सत्य का
दर्शन किया
जी एल वेदान्ती ” कवि “
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