बहराइच। अबलेश्वरी माता मंदिर परिसर में चल रहे नवरात्रि मानस प्रवचन के पांचवें दिवस के प्रवचन में मथुरा से पधारे कथाव्यास पंडित गुरदास ब्रिज रसिक महाराज ने राक्षसों द्वारा यज्ञ में उत्पन्न बाधा के निवारण के लिए राम लक्ष्मण को लेने अयोध्या पहुंचे विश्वामित्र दशरथ संवाद का विस्तृत वर्णन किया।जरवल रोड के निकट ग्राम अतरौलिया में बने प्राचीन अवलेश्वरी माता मंदिर में नौ दिवसीय प्रवचन के दौरान बुधवार को मथुरा से पधारे मानस मर्मज्ञ श्री रसिक महाराज ने बताया कि त्रेता युग की बात है बिहार स्थित वन में ऋषि मुनियों का यज्ञ राक्षस कभी पूरा नहीं होने दे रहे थे तथा उनको सताते रहते थे जिसको लेकर गुरु विश्वामित्र द्वारा अयोध्या जाकर राजा दशरथ के पुत्र राम,लक्ष्मण को राक्षसों से निजात दिलाने के लिए भेजने की बात कहीं गई जिस पर राजा दशरथ अपने प्राणों से प्रिय बेटों को जंगल भेजने का निर्णय अनुचित बताते हुए देने से इनकार कर दिया किंतु गुरु वशिष्ट ने समझाया कि राजन इनका जन्म राक्षसों के विनाश तथा ब्राह्मणों पर अत्याचार से मुक्ति के लिए ही हुआ है इन्हें विश्वामित्र के साथ शीघ्र भेज देना चाहिए जिस पर राजा दशरथ ने अपने दोनों बेटों को विश्वामित्र के हवाले कर दिया और उन्हें लेकर जंगल की ओर चल पड़े तथा ताड़का वध के उपरांत जंगल पहुंचकर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों को निर्भय होकर यज्ञ प्रारंभ करने का सुझाव दिया और यज्ञ प्रारंभ हो गया देखते ही देखते राक्षसों की टुकड़ी यज्ञ विध्वंस करने लगी किंतु राम और लक्ष्मण की वीरता के आगे उनकी एक न चली और सभी राक्षसों को अपने जीवन गंवाने पड़े।इस अवसर पर हरिहर शुक्ला,माधव राज, गिरिजेश शुक्ला,सत्यदेव, राधेश्याम,हरीश शुक्ला,रूद्र प्रताप,ओम प्रकाश,द्वारिका प्रसाद,गुड्डू ताऊ,केतकी प्रसाद अशोक शुक्ला,रुपेश शुक्ला, केदारनाथ, उत्तम शुक्ला, जीवन लाल शुक्ला,समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
नवरात्रि के दौरान मानस प्रवचन का ही रहा आयोजन

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