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मगफिरत और दुवाओं की रात- शबे बरात

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रिपोर्ट-जावेद अहमद

संतकबीरनगर। शब-ए-बारात की इस्लाम में काफी अहमियत है। इस रात में मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हैं. पूरी रात मस्जिदों या घरों में नमाज पढ़ी जाती है और इबादत की जाती है. दुआएं की जाती हैं, अपने गुनाहों के लिए तौबा की जाती है। मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात के दिन अपने घरों को सजाते हैं. घरों में इस दिन पकवान आदि बनाए जाते हैं और गरीबों में भी बांटे जाते हैं। शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है. जो इस साल 18 मार्च 2022 को सूर्यास्त से शुरू होकर 19 मार्च सुबह तक मनाई जाएगी। मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा रखते हैं. यह रोजा फर्ज नहीं है बल्कि नफिल रोजा कहा जाता है. यानी रमजान के रोजों की तरह ये रोजा जरूरी नहीं होता है, कोई ए रोजा रखे तो इसका पुण्य तो मिलता है, लेकिन न रखे तो इसका गुनाह नहीं होता है। गावों की परमुख कब्रिस्तान ऊंचाहरा कब्रिस्तान, बाघनगर कब्रिस्तान,वासिन कब्रिस्तान, करही कब्रिस्तान,ऊसराशहीद कब्रिस्तान, मूडाडीह कब्रिस्तान,बाघनगर कब्रिस्तान, सेहुडा कब्रिस्तान,
पैड़ी कब्रिस्तान, बन्नी कब्रिस्तान, सैथवलिया कब्रिस्तान,पिपरा कब्रिस्तान,चोरहा कब्रिस्तान,भगुरा कब्रिस्तान, महुवारी कब्रिस्तान,
मीरपुर कब्रिस्तान, सफियाबाद कब्रिस्तान,तिलजा कब्रिस्तान, अगया कब्रिस्तान,बलईपुर कब्रिस्तान
बुढ़ाननगर कब्रिस्तान आदि इलाकों के कब्रिस्तानो और दरगाहो में लोग शमा रोशन करेंगे।

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