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देश की स्वतंत्रता पूर्वजों की उम्मीद : अब्दुल्लाह खान

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नाशिक = अक्सर हम अपनी उम्मीदों को पूरा होना देखना चाहते हैं लेकिन क्या कभी उन उम्मीदों को अपनी उम्मीदों की तरह देखने की हिमाकत करते हैं जो देश की स्वतंत्रता के पीछे पूर्वजों ने की है ? यह एक सवाल नही है बल्कि देश की स्वतंत्रता की पुकार है । जिसे आज हम आपसी भाईचारे की दृष्टि से देखना बन्द कर रहे हैं ।

देश की स्वतंत्रता के पीछे जो उम्मीदे हमारे पूर्वजों ने किया था क्या उसे स्वतंत्रता की दृष्टि से हम देख रहे हैं ? हमे स्वंतत्रता को सिर्फ इस निगाह मात्र से नही देखना चाहिए जो आजादी का प्रतीक हैं इसे पूर्वजों के उन बलिदानो के रुप मे देखना चाहिए जिसमे लोकतंत्रात्मक गणराज्य की उम्मीदें थीं ।
उक्त बातें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिलेक्सो डोमस्वेयर कंपनी के निदेशक अब्दुल्लाह खान ने कही ।

उन्होने कहा कि बेशक हम समाज की अवधारणा मे सामुदायिक रूप से अलग-अलग पहचान रखते हैं लेकिन जब उन्नति का विचार करते हैं तब हमे एकमात्र मार्ग मेहनत का ही दिखाई देता है जब हम सुख शान्ति का विचार करते हैं तब हमे सद्गुण का मार्ग दिखाई देता है जब हम सामाजिकता का विचार करते हैं तब हमे एकता, भाईचारे, प्रेम बंधुत्व का मार्ग दिखाई देता है । यानि कि हम सामुदायिक रूप से भले ही भिन्नता का रूप दिखाई देने की कोशिश करते हैं लेकिन जब उसके पटल की बात आती हैं तब हमे विचारो की एक ही माला दिखाई देती हैं ।

जिसका मतलब साफ है हमे पूर्वजों के उम्मीदों मे मिली लोकतंत्रात्मक देश और संविधान को आत्मसात करना । तभी हम सही मायने मे जिसका अभी-अभी हम सभी लोगो ने” हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, लोकतंत्रात्मक, पंथ निरपेक्ष, समाजवादी गणराज्य बनाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं का संकल्प लिए है ” का परिकल्पना कर सकते है ।

श्री खान ने कहा कि आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो पूर्वजों की वो उम्मीदे हैं जिसे देश की समृद्धि और अखंडता को अक्षुण्ण रूप बनाए रखना हैं । आओ! और हम सब मिलकर ये संकल्प ले और देश की समृद्धि को बुलंदी दे ।
भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना । इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता और अवसर की असमानता मिटाना । हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे । संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा । आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है । हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं ।
इससे पूर्व उन्होने ध्वजारोहण, राष्ट्रगान एवं संविधान प्रस्तावना का संकल्प लिया । अमर शहीदों के चित्रों पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर नम आंखों से उनके बलिदानों को याद किया गया । इस अवसर पर देश की स्वतंत्रता की एक दूसरे को हार्दिक बधाईयां दी गई ।
इसी क्रम मे देश के विभिन्न राज्यों मे कंपनी की सभी कार्यालयों पर बडे़ ही धूमधाम से हर्षोल्लास पूर्वक स्वतंत्रता दिवस मनाया गया ।
जन संबोधन में कार्यालय मैनेजर आफरीन द्वारा स्वतत्रंता सेनानियों, अमर शहीदों के बलिदानों पर प्रकाश डाला गया, और देश भक्ति को नैतिक जिम्मेदारी बताया गया । इस बीच मे अगर कहीं थोड़ी बहुत असमंजस की स्थिति बनती हैं तो उसे पूर्वजों के बलिदानों को याद करके दूर करना चाहिए । आजादी यूं ही नहीं मिली है इसके पीछे जो त्याग जो बलिदान दिया गया जो यातनाएं झेली गई, उसे युग- युगांतरो तक याद किया जायेगा ।

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