साफ संदेश , संत कबीर नगर । नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा की भक्ति और शक्ति उपासना का विशेष समय होता है। भक्तजन नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर धर्म और आध्यात्मिकता में लीन रहते हैं।
नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा की भक्ति और शक्ति उपासना का विशेष समय होता है। भक्तजन नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर धर्म और आध्यात्मिकता में लीन रहते हैं। देवी पुराण के अनुसार इस दौरान मां दुर्गा धरती पर वास करती हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से प्रारंभ होगी। वहीं 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी के साथ इसका समापन होगा। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ हिंदू नववर्ष का शुभारंभ भी होगा और गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा
माता के आगमन और प्रस्थान का वाहन
इस बार नवरात्रि का आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और इसी पर प्रस्थान करेंगी। हाथी पर माता का आगमन बेहद शुभ माना जाता है, जो अच्छे वर्षा चक्र, समृद्धि और खुशहाली का संकेत देता है। मान्यता है कि देवी की सवारी से आने वाले समय की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता है, जिसमें प्रकृति, कृषि और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होते हैं।
कलश स्थापना मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 30 मार्च 2025, दोपहर 2:14 बजे
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह से शुरू होगा और दिन में 2:14 बजे तक रहेगा
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करने से व्रत और पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि में माता की आराधना करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है।
महा अष्टमी व्रत 5 अप्रैल दिन शनिवार
महा अष्टमी व्रत का पारण 6 अप्रैल दिन रविवार
रामनवमी व्रत 6 अप्रैल दिन रविवार
नवरात्र व्रत का पारण 7 अप्रैल दिन सोमवार
इस साल नवरात्रि विशेष रूप से फलदायी होगी क्योंकि देवी का वाहन हाथी शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
वैसे तो माता जी का सवारी शेर है तुरंत नवरात्र में मां के आगमन और प्रस्थान का सवारी दिन के अनुसार निश्चित होता है इस बार नवरात्रि रविवार को पड़ रहा है और नवरात्र का अंतिम दिन माता जी का प्रस्थान रविवार को पड़ रहा है इसलिए उनकी सवारी हाथी होगी ।
रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। श्री राम जी का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के तृतीय चरण में हुआ था जिसका संबंध मिथुन राशि से बनता है जिसका प्रतीक तीर और धनुष है
चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।
उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥
मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।
आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥ (निर्णयसिन्धु)
बालाजी जीवन ज्योति सेवा केंद्र खलीलाबाद ( पंडित परशुराम पांडेय ज्योतिषी )की तरफ से आप सब लोगों को चैत्ररामनवमी की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
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