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स्पीच थेरेपी से स्पीच समस्याओं और विकारों के उपचार मे मिलती है मदद– डॉ राजानंद शाही

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साफ़ संदेश कुशीनगर
अरविन्द कुमार

2 से 5 वर्ष के बच्चों के बीच परिजनों को ध्यान की जरूरत,गम्भीर हो सकती है समस्या

चिकित्सक के सही सलाह से तुतलाने और हकलाने जैसी गंभीर समस्या का हो सकता है इलाज

जनपद के केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के इएनटी (ओटो-राइनो लैरींगोलॉजी) विभाग के विभागाध्यक्ष का कहना है कि स्पष्ट आवाज प्रत्येक व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा गहना है, अधिकांश देखा गया है कि समय रहते ध्यान न देने की वजह से बहुत सारे लोग सही शब्दों का सही तरीके से उच्चारण नहीं कर पाते । पहले के समय में इन समस्याओं को दूर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन उपलब्ध नहीं थे लेकिन आज जनपद में केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में स्पीच थेरेपी द्वारा इन सभी समस्याओं का आसानी से समाधान किया जा रहा है . आपको बता दे की प्रायः दो से तीन साल के बच्चों में इस तरह की समस्या देखी गई है कि वह बहुत सारे शब्दों का सही तरीके से उच्चारण नहीं कर पाते या फिर रुक रुक कर बातचीत करते हैं । सामान्य बोलचाल की भाषा में इसको हकलाहट का नाम दिया जाता है लेकिन सही समय पर स्पीच थैरेपिस्ट की मदद से आप अपने बच्चों की इस समस्या का सही समाधान कर सकते हैं। स्पीच थेरेपी का इस्तेमाल कई तरह की स्पीच समस्याओं और विकारों के लिए किया जा सकता है, जिसमें कर्कश आवाज़ जैसी छोटी समस्याओं से लेकर मस्तिष्क क्षति के कारण आंशिक रूप से बोलने की क्षमता का खत्म होना शामिल है। विकार के प्रकार के आधार पर अन्य चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक उपचारों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। स्पीच थेरेपी एक ऐसा उपचार है जो आपकी बात करने और अन्य भाषा कौशल का उपयोग करने की क्षमता में सुधार करता है। यह आपको अपने विचार व्यक्त करने और यह समझने में मदद करता है कि दूसरे लोग आपसे क्या कह रहे हैं। यह आपकी याददाश्त और समस्याओं को हल करने की क्षमता जैसे कौशल में भी सुधार कर सकता है। आमतौर पर बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी उनकी विशिष्ट ज़रूरतों और उनके भाषण या भाषा में देरी की गंभीरता के आधार पर निर्धारित की जाती है। हालाँकि, बच्चों, खासकर छोटे बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी के लिए आदर्श आयु 2 से 5 वर्ष के बीच है। जिसमें चिकित्सक सही शब्दावली और व्याकरण का मॉडल बना सकता है, और भाषा कौशल विकसित करने के लिए दोहराव अभ्यास का उपयोग कर सकता है। उच्चारण या ध्वनि उत्पादन, अभ्यास में चिकित्सक अक्सर खेल गतिविधियों के दौरान बच्चे के लिए शब्दों और वाक्यों में सही ध्वनियों और अक्षरों का मॉडल बनाता है। बच्चो के कौशल और शब्द पहचान को बेहतर बनाने के लिए अभिभावक गाने, नर्सरी कविताएँ और सरल धुनें गाएँ। यह व्यक्तिगत बातचीत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। समझ को बढ़ाने के लिए सरल, स्पष्ट शब्दों और छोटे वाक्यों का उपयोग करें। अपने बच्चे को ध्वनियों, शब्दों और क्रियाओं की नकल करने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर आपका 2 साल का बच्चा लगभग 50 शब्द नहीं बोल पाता है या किसी बात को संप्रेषित करने के लिए शब्दों को संयोजित करने में असमर्थ है , तो संभवतः उसे भाषण-भाषा में देरी या विकार के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए। 3 साल की उम्र तक, आपका बच्चा ‘टी’, ‘डी’ और ‘एन’ ध्वनियों का स्पष्ट उच्चारण करने में सक्षम होना चाहिए। अगर अभिभावक इन सरी समस्यओं पर समय रहते ध्यान दें तो बच्चोको इस समस्या से दुर किया जा सकता है । केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के आडियोलाजिस्ट रोहित पाल बताते है कि आज के समय मे हम बहुत से बच्चों और मरिजों इस तरह की समस्या को देखतें है लेकिन जानकारी और जागरूकता के आभाव में लोग इसका इलाज न कराकर जीवन भर इस विकार के साथ रह जाते है । हमे इसको गम्भीरता से लेने की जरूरत है । हमारे यहा सभी सुविधायें उचित दर पर दी जा रही है । जागरूकता के आभाव में बहुत से लोग जीवन भर हकलाहत जैसी गम्भीर समस्या से प्रताडना और निन्नदा सहते है। आप स्पीचथेरेपीस्ट या आडियोलाजिस्ट की मदत ले और लोगो को जागरूक करें । समाजिक जगरूकता से इस समस्या को दुर किया जा सकता है ।

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