संत कबीर नगर।बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया।
तीनों जनपदों का चहेता सबको रुला कर चला गया। एक ऐसा शख्स जो तीनों जनपदों का चाहता था, जिसके काम करने का तरीका व सहयोग की भावना से अन्य जनपदों के अधिकारी, कर्मचारी व पत्रकारगण तारीफ किये नहीं थकते थे। किसी को क्या पता था कि ऐसा दिन भी आएगा कि जो सबके हित व परोपकार की भावना रखता हो, उसको कम उम्र में दुनिया छोड़कर जाना पड़ेगा।
दो जनपदों का कमान संभालने वाले तथा कई जनपदों के अधिकारिओ, कर्मचारियों व पत्रकारों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रत्नेश जी के असमय निधन से गांव, क्षेत्र, जनपद व मंडल में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उनके हंसते खेलते परिवार की मानों दुनिया ही उजड़ गई हो।
उस बूढ़े मां-बाप पर क्या बीती होगी जब उनके सामने उनके बेटे की अर्थी उठ रही थी। हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उनके मरने पर उनका बेटा कंधा दे। लेकिन प्रभु भी कैसी कैसी लीला रचते हैं, जिनको मनुष्य देखे तो आंसू, न देखे तो आंसू।
संत कबीर नगर जनपद के जिला सूचना कार्यालय में तैनात लेखाकार (बड़े बाबू) रत्नेश चौधरी जो बस्ती जनपद का भी कार्य देखते थे, जिनके काम करने का तरीका लोगों को खूब भाता था। कोतवाली थाना क्षेत्र व विकास खण्ड सेमरियावां के खमरिया गांव निवासी रत्नेश चौधरी के सीने में दर्द व बेचैनी से अचानक तबीयत खराब हो गई। जिनको परिवार व शुभचिंतकों ने कैली मेडिकल कॉलेज बस्ती में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। रत्नेश जी को होश आया तो वह अपने परिवार वालों से बातचीत करने लगे, परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था, परिजनों से बातचीत के दौरान ही उनको चक्कर महसूस हुआ और वह बेड पर गिर कर बेशुद्ध हो गए। परिजनों ने डॉक्टर को बुलाया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। जिसकी सूचना मंडल तक फैल गई। जहां अधिकारियों, कर्मचारियों व पत्रकारगणों का तांता लग गया।
जिला सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज को खबर मिलते ही उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, और वह स्तब्ध हो गए, उनको जैसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था, कि अब क्या करें, उन्होंने कहा कि मेरा तो संसार ही लूट गया, हे प्रभु ऐसा दिन किसी को न दिखाए। सहायक सूचना निदेशक बस्ती प्रभात त्रिपाठी ने रत्नेश चौधरी का पार्थिव शरीर देखते ही दहाड़ मार कर रोने लगे।, उन्होंने बताया कि ऐसा सहकर्मी मिल पाना असंभव है।
रत्नेश चौधरी दो भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के बाद वे उसे किसी अच्छी जगह स्थापित कराने की कोशिश में जुटे थे। माता-पिता, भाई, पत्नी और दो मासूम बच्चों का इकलौता सहारा छिन जाने से परिजनों पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतक के 7 वर्षीय एक बेटा और 4 वर्षीया एक बेटी हैं। मासूम बच्चो को इस बात का एहसास ही नहीं था कि आफिस से लौट कर उन्हें सीने से लगाकर दुलारने वाले पापा अब कभी वापस नहीं लौटेंगे।
रत्नेश चौधरी ने अपने जीवन की शुरुआत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय में कम्प्यूटर आपरेटर पद से किया था। वर्ष 2018 में वे पुलिस विभाग में एसआई (दरोगा) पद पर भर्ती हुए थे, 8 माह तक पुलिस की ट्रेनिंग भी किया। लेकिन जिला सूचना अधिकारी कार्यालय में लेखाकार पद पर चयनित होने के बाद यह कहकर पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ दिये कि जिले में रहकर नौकरी करूंगा, तो परिवार की देखभाल करने का भी समय मिलता रहेगा।
ज़िला सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे कार्यालय पर शोक सभा का आयोजन होगा। जिसमे कर्मचारियों व पत्रकार साथियों का आह्वान किया है, कि दिवंगत आत्मा की शांति के लिए आयोजित शोकसभा में पहुंच कर अपनी संवेदना ब्यक्त करें।
ज़िला सूचना विभाग में तैनात लेखाकार का हृदय गति रुकने से हुआ निधन, अधिकारियों व पत्रकारों में शोक की लहर

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