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प्रॉपर्टी की चाहत में विधवा महिला पर अत्याचार पुलिस नहीं दे रही ध्यान

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गोरखपुर। प्रॉपर्टी की चाहत में कुछ लोग इस कदर पागल हो गए हैं कि अपने सगे संबंधियों का गला घोटने में लगे हैं।


जनपद के बेलघाट थाना नाक के नीचे ही विधवा महिला पर अत्याचार व उत्पीड़न हो रहा है, लेकिन पुलिस मुकदर्शक बनी हुई है। क्योंकि मामला पुलिस और आरोपी के संबंध का है। सूत्रों की माने तो पूरा थाना स्टाफ जानता है, कि कौन गलत है, और कौन सही है, फिर भी साहब को गलत सही का फैसला करने में हिचकिचाहट हो रही है।
बताते चले कि बेलघाट थाना के बेलघाट निवासी पंकज कुमार शाही की दो शादियां हुई थी। पहली पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। जिससे दो बच्चे है, फिर पंकज कुमार शाही ने दूसरी शादी की। शादी के बाद दूसरी पत्नी ने बच्चा नहीं चाहा और कहा कि यही दोनों मेरी औलाद है। दूसरी पत्नी ने दोनों बच्चों का लालन पालन खूब अच्छे तरीके से करती आ रही थी, कि अचानक दो वर्ष पहले पंकज कुमार शाही कि तवियत खराब हुई और उनकी मृत्यु हो गयी। कुसुम के मायके वालों ने बताया कि अब खेल शुरू हुआ धन जायजाद का कि उनके हिस्से का प्रॉपर्टी किसे मिले। पंकज कुमार शाही का एक छोटा भाई रोहित शाही है, जो इनके मृत्यु से पहले अलग रह रहा था। लेकिन प्रॉपर्टी की चाहत में अपनी विधवा भाभी कुसुम को टॉर्चर करना शुरू कर दिया, जिससे वह यहाँ से भाग जाये, और उसको हिस्सा न मिले। इस खेल में रोहित शाही, उनकी पत्नी, व बहन, बहनोई राणा सभी ने साजिश रचकर कुसुम को बाहर निकाल दिया। और उसके कमरे में ताला लगा दिया। कुसुम किसी तरह अपने मायके चली गयी, कुछ माह बीतने के बाद जब कुसुम वापस ससुराल गयी तो आलमारी में रक्खा रुपया एल आई सी का बॉण्ड सब गायब मिला। जब कुसुम ने रोहित शाही से पूछा तो वे लोग आग बबूला हो गए और विधवा कुसुम को भद्दी भद्दी गालियां देने लगे फिर कुसुम अपने मायके चली गयी। कुछ माह बाद जब पंकज कुमार शाही का वरासत पत्नी व दोनों बच्चों के नाम से हुआ और एल आई सी का रुपया जिसमे कुसुम नामनी थी। वह पैसा कुसुम के खाते में आते ही पंकज शाही के बहनोई राणा ने रोहित शाही को उकसाया और कहा कि डरा धमकाकर सारा रुपया ले लो नही तो जान से मार दो । अब प्रॉपर्टी में विधवा कुसुम का नाम होने से रोहित शाही और बौखला गया। फिर 4.08.2022 को कुसुम जब अपने ससुराल बेलघाट पहुँची तो उसका बिजली पानी सब बंद कर दिया और तो और बाहर जाने के गेट पर ताला लगा दिया, और स्टोर में रखे गेंहू, चावल कुछ अपने कमरें रखकर बाकी बेच दिया। यह नही पूछा कि खाने के लिए कुछ है कि नही । कुसुम ने जब इसकी जानकारी अपने मायके वालों को दी तो 23.08.2022 को बेलघाट थाने पर कुसुम के मायके वाले पहुँचे।
अब पुलिस का रूप देखिये कुसुम के मायके वालों ने बताया कि जब थानाध्यक्ष से कहा गया कि मेरे बहन को रोहित शाही उनकी पत्नी व बहन बहनोई प्रताड़ित कर रहे है, तो उन्होंने ने कहा एल आई सी का सारा रुपया उन्हें दे दो फिर मैं बताता हूँ। अब सवाल यह है कि जहाँ पुलिस को मदद करनी चाहिए बजाय उल्टे कुसुम के मायके वालों से कह रही है, कि अपने हिस्से का सारा रुपया पैसा उन्हें दे दो क्या पुलिस जज की भूमिका में है, या अपराधों पर नियंत्रण रखने और शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए है, फिर कुसुम के मायके वालों ने बताया कि कई बार बिनती करने पर थानाध्यक्ष मौके पर गये। तो आने जाने वाले गेट पर ताला लगा पाया। बिजली पानी सब कटा पाया, लेकिन फिर भी थानाध्यक्ष ने यह नही कहा कि गेट से कैसे बाहर कुसुम जायेगी बल्कि दूसरा विकल्प रोहित शाही को बताया कि कुसुम अपने कमरे से बाहर जाने के लिए गैलरी से गाय- भैस के तबेले से होते हुए स्कूल गेट से जाए। थानेदार की मेहरबानी तो हो गयी लेकिन यह नही सोचा गया कि 2 बजे तक स्कूल गेट पर ताला लगा रहता है। बल्कि कुसुम बार-बार दुहाई दे रही थी, कि स्कूल गेट का ताला 2 बजे के बाद खुलता है। यदि किसी वस्तु की आवश्यकता हुई तो बाहर नही जाने देते है। उस दिन लाइट पानी की व्यवस्था चालू करने को लेकर थानाध्यक्ष ने कहा कि रोहित शाही आज के दिन ठीक करा देंगे लेकिन यहाँ तो ठीक कराने को कौन कहे दो दिन बीतने के बाद भी व्यवस्था जस की तस बनी हुई है और बाजार से कुछ भी लाने और ले आने भी नही दिया जा रहा है।
अब देखना यह है कि थानेदार की मेहरबानी कब तक आरोपियों पर रहती है। यदि किसी दिन कोई अनहोनी हो गयी तो क्या थानेदार जिम्मेवारी लेंगे।

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