रिपोर्ट-मुन्ना अंसारी
निचलौल, ठूठीबारी,महाराजगंज ।जनपद के निचलौल तहसील तथा थाना कोतवाली ठूठीबारी क्षेत्र के अंतर्गत पंचमुखी शिव मंदिर शिव धाम इटहिया मंदिर प्रांगण में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री सांसद पंकज चौधरी के बेटे रोहन चौधरी एवं पुत्रवधू श्रीमती तान्या चौधरी का रुद्राभिषेक शास्त्र के विधि विधानद्वारा पांच ब्राह्मणों से मंत्रोचार के द्वारा विस्तार पूर्वक संपन्न हुआ जिसमें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की पत्नी के देख रेख में रुद्राभिषेक कार्यक्रम संपन्न हुआ कहा जाता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही, ग्रह दोष और रोगों से भी मुक्ति मिलती है। रूद्रहृदयोपनिषद के अनुसार, शिव या रुद्र के समस्त देवताओं की आत्मा में स्थित होने के कारण, वे सभी रुद्र की आत्मा हैं। भगवान शिव, सर्व कल्याणकारी देवता के रूप में परम पूजनीय हैं।देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं। भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं | संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं| इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है| भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है| शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को मृत्युलोक के दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है| इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है |ज्योतिषी पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि हर राशि के मुताबिक भगवान की पूजा से जुड़ी एक खास वस्तु होती है. इससे ईश्वर जल्दी प्रसन्न होते हैं |जीवन में हर कोई किसी न किसी कारण से कभी न कभी, कोई न कोई पूजा-पाठ या अनुष्ठान अवश्य ही करता है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो सामान्य पूजा-पाठ के माध्यम से ही अपने अभीष्ट को प्राप्त कर लेते हैं किंतु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो कठिन से कठिन अनुष्ठान करने के बाद भी मनोनुकूल सिद्धि को प्राप्त नहीं कर पाते। इसका कारण क्या है? कई बार यह भी होता है कि व्यक्ति किसी की सलाह पर उसे जो भी जिस देवता की पूजा करने के लिए कहता है, करना प्रारंभ कर देता है किंतु हमें अपने उद्देश्य की प्राप्ति नहीं होती। हताश व्यक्ति पूजा-पाठ अनुष्ठान आदि को ही ढकोसला बताने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं होता।ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अपनी राशि के अनुसार ही देवी-देवताओं की पूजा करने से वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। कौन-सा व्यक्ति किस देवता की पूजा करे, इसके लिए अपने नामाक्षर की राशि तथा राशि के अंशों की जानकारी प्राप्त करके उसजानकारी प्राप्त करके उस अंश के अनुसार देवता की पूजा करने से अवश्य ही लाभ की प्राप्ति होती है। प्रत्येक जन्म लग्न में तीस अंश होते हैं। दस-दस अंश का एक भाग बनाकर तीनों अंशों में बांट दिया जाता है चू, चे,. चो, ला, ली, लू, ले तथा अ अक्षरों को मिलाकर मेष राशि का निर्माण होता है। इसमे चू, चे तथा चो (तीन वर्ण) को प्रथम दस अंश, ला, ली तथा लू (तीन वर्ण) को द्वितीय दस अंश तथा ले, लो तथा अ को तृतीय अंश मानकर तीनों अंशों के अलग-अलग देवता माने जाते हैं।ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का रुद्राक्ष की माला पर प्रतिदिन जाप करना, पञ्चाक्षरी स्रोत का पाठ, शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ, शिव चालीसा, शिव सहस्त्रनाम के पाठ में से कोई एक नियमित रूप से करना चाहिए। सोमवार का व्रत करना विशेष लाभप्रद माना जाता है। द्वितीय दशांश में जन्म लेने वाले स्त्री-पुरुष के लिए सोमवार के दिन संभोग करना वर्जित माना जाता है। इन नियमों का पालन करते हुए शंकर जी की आराधना करने वाले के मनोरथ सिद्ध होते हैं।उक्त मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष रवि कांत पटेल एवं भाजपा युवा मोर्चा जिला महामंत्री पवन श्रीवास्तव भाजपा सेक्टर प्रभारी शिव धाम इटहिया नागेश्वर चौधरी गुड्डू पटेल गोरख पटेल त्रिभुवन पटेल कुंवारी सती प्रधान विनय प्रताप सिंह उपस्थित रहे
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