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चुनाव 2022 बनाम ओमिंक्रान वेरिएंट

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ओमिंक्रान वेरिएंट और चुनाव 2022 – क्या चुनावी जनसभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित किया जाए ?

सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्वतःसंज्ञान लेकर चुनाव आयोग से मिलकर चुनाव प्रचार के विकल्पों पर चर्चा करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक रूप से ब्रिटेन, अमेरिका सहित अनेक देशों में ओमिंक्रान वेरिएंट का कहर और भारत में बढ़ते केसों को ध्यान में रखते हुए आगामी पांच राज्यों में कुछ महीनों में होने वाले विधान सभाओं का चुनाव और वर्तमान यूपी में हो रही रथ यात्राओं, रैलियों जनसभाओं में बिना उपयुक्त कोविड व्यवहार पालन के उपस्थित नागरिकों को देखते हुए बुद्धिजीवियों, प्रबुद्ध नागरिकों, जानकारों, टीवी चैनलों पर डिबेट और गली मोहल्लों में इस चर्चा को बल मिल रहा है कि क्या चुनावी सभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित करने संबंधी किसी विकल्प पर विचार किया जाना उचित रहेगा ? साथियों जिस तरह से हम सोशल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों पर ग्राउंड रिकॉर्डिंग देख रहे हैं कि किस तरह रथयात्राओं और जनसभाओं में हजारों की संख्या में भीड़ जुट रही है और बिना किसी उपयुक्त कोविड व्यवहार पालन के नागरिकों सहित बड़े-बड़े नेताओं, अधिकारियों को दिखाया जा रहा है और मीडिया द्वारा पूछने पर बाद में मास्क लगाते हुए दिखाया जा रहा है यह काफी चिंतनीय सोच को जन्म देता है कि, किस तरह महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली सहित करीब करीब 20 राज्यों में यह महामारी फैल चुकी है और कुछ राज्यों में इसकी तीव्रता अधिक बढ़ी है, जिन राज्यों में चुनाव होने हैं!! खासकर के भारत के सबसे बड़े राज्य यूपी में ग्राउंड रिकॉर्डिंग को दिखाते हुए कई टीवी चैनलों पर डिबेट मैं इस पर चिंता जाहिर की है। एक चैनल पर उप संपादक श्री सुकेश रंजन द्वारा विचार व्यक्त किया गया कि सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्वतःसंज्ञान लेकर चुनाव आयोग से मिलकर चुनावी प्रचार सभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित किया जाए, जिसमें प्रत्येक सरकारी और निजी चैनलों पर हर पार्टी का कुछ समय निर्धारित कर उन्हें बिना शुल्क प्रचार-प्रसार और अपनी बात रखने का वक्त निर्धारित किया जाए, तो हम इस बढ़ती महामारी पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने में सफल हो सकते हैं। साथियों मुझे लगता है यह सुझाव अतिशानदार होगा और हम सब नागरिकों, राजनीतिक पार्टियों, राज्यों के पक्ष विपक्ष की सरकारों को मिलकर इस संकट की घड़ी में एकसाथ आना होगा। वैचारिक मतभेद भुलाकर इस महामारी से युद्ध करने साझा रणनीति पर काम होना ज़रूरी है। हम जिंदा हैं तो चुनाव कभी भी लड़ सकते हैं!! बस!!! हमें प्राथमिकता हमारी जिंदगी पर हमला करने वाली महामारी से ज़ज्बे और जांबाज़ी से मुकाबला करना होगा। साथियों बात अगर हम नीति आयोग के चौथे स्वास्थ्य सूचकांक 2021 की करें तो, नीति आयोग की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में केरल स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सबसे आगे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे नीचे है!!! केरल ने सभी मानकों पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे पहला स्थाल हासिल किया है। नीति आयोग के चौथे स्वास्थ्य सूचकांक 2021 में 2019-20 में केरल पहले पर, जबकि तमिलनाडु दूसरे और तेलंगाना तीसरे स्थान पर हैं। ये रिपोर्ट नीति आयोग के सरकारी थिंक टैंक द्वारा बनाई गई है। साथियों बात अगर हम सरकारों की करें तो वे भी जीजान से पूरी तैयारी से भिड़ी हुई हैं। माननीय पीएम ने अपने 25 दिसंबर 2021को राष्ट्र के नाम संबोधन में पीआईबी के अनुसार पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि आज, जैसे-जैसे वायरस के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं, चुनौती का सामना करने की हमारी क्षमता और आत्मविश्वास भी हमारी अभिनव भावना के साथ कई गुना बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि आज देश में 18 लाख आइसोलेशन बेड, 5 लाख ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड, 1 लाख 40 हजार आईसीयू बेड, 90 हजार आईसीयू और नॉन आईसीयू बेड विशेष रूप से बच्चों के लिए, 3 हजार से ज्यादा पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, 4 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं। टीकाकरण और जांच तेज करने के लिए राज्यों को सहायता प्रदान की जा रही है। साथियों बात अगर हम 15-18 आयुवर्ग तक वैक्सीनेशन की करें तो दिनांक 27 दिसंबर 2021 को इस संबंध में सरकार ने किशोरों के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके मुताबिक 15 वर्ष या उससे अधिक आयुके सभी लोग कोविन पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। वे सभी लोग जिनका जन्म 2007 या उससे पहले हुआ है, वे सभी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर्स, जिन्हें दो खुराकें मिल चुकी हैं, उनके लिए 10 जनवरी 2022 से कोविड-19 वैक्सीन की एक प्रिकॉशनरी खुराक की जाएगी। यह प्रिकॉशनरी खुराक, दूसरी खुराक के 39 सप्ताह बाद लेनी होगी. यानी प्रिकॉशनरी डोज़ के लिए दूसरी खुराक के बाद, 9 महीने का गैप ज़रूरी होगा। साथियों बात अगर हम दिनांक 27 दिसंबर 2021 को मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा स्वास्थ्य सचिव के साथ इस संबंध में बैठक की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार, चुनाव आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय की इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव और अन्य अधिकारियों ने मीटिंग के दौरान कोविड और ओमिक्रॉन के संक्रमण के फैलाव, बचाव और एहतियाती उपाय से संबंधित आंकड़े और अन्य प्रेजेंटेशन दिए. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सरकार की ओर से जारी ताजातरीन कोविड प्रोटोकॉल और गाइडलाइन की जानकारी दी। साथ ही, मतदान वाले राज्यों में वैक्सीनेशन की पहली खुराक के बारे में भी जानकारी दी गई थी। जिन राज्यों में वैक्सीनेशन कम हुआ है, वहां चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय से वैक्सीनेशन प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है, ताकि आबादी जल्द से जल्द पूरी तरह से वैक्सीनेट हो जाए। चुनाव आयोग का लक्ष्य यह है कि इन चुनावी राज्यों में हर व्यक्ति पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो। मीडिया में चुनाव आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यों में विधानसभा चुनाव स्थगित होने की संभावना नहीं है। चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। चुनाव आयोग मंगलवार को चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए, उत्तर प्रदेश का दौरा किया। यह दौरा तीन दिन का होगा।आयोग चुनाव पूर्व की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहले ही पंजाब, गोवा और उत्तराखंड का दौरा कर चुका है। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीएम और चुनाव आयोग से कोरोना के हालात देखकर विधानसभा चुनावों को फिलहाल टालने की अपील की थी। गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल मार्च में समाप्त हो रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है। चुनाव प्रचार के लिए न्यूनतम समय दिए जाने पर विचार।साफ है कि विधानसभा चुनाव समय से करवाने के लिए आयोग हरसंभव एहतियाती उपाय कर रहा है। मीडिया के अनुसार आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चुनाव प्रचार के लिए न्यूनतम समय दिए जाने पर विचार हो रहा है। इससे लोगों के आपसी संपर्क को भी न्यूनतम किया जा सकेगा ? इसके अलावा जनसभा, रैली, रोडशो पर भी नई सख्तियों, पाबंदियों वाली गाइडलाइन आएगी। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनाव 2022 बनाम ओमिक्रान वेरिएंट क्या चुनावी सभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित किया जाए ? तथा सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्वतःसंज्ञान लेकर चुनाव आयोगसे मिलकर विकल्पों पर चर्चा करना तात्कालिक ज़रूरी है।

संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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