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बखिरा डेवलपमेंट प्लान हुआ पूर्ण, 350 करोड़ की लागत से ईको टूरिज्म/एग्रो टुरिज़म हब के रूप में विकसित होगा बखिरा झील/पक्षी बिहार क्षेत्र।

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डीएम ने प्रस्ताव शासन को किया प्रेषित।

संत कबीर नगर । जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर द्वारा बखिरा झील एवं बखिरा पक्षी बिहार के विकास एवं ईको टूरिज्म के अन्तर्गत पर्यटकों के आवागमन के दृष्टिगत उच्च स्तरीय पर्यटक सुविधाओं के सृजन तथा पर्यटकों के अनुभव को बेहतर करने के उद्देश्य से नेचर टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, वाटर स्पोटर्स, ईको रिजार्ट्स, जंगल कैम्पिंग, वेलनेस टूरिज्म जैसी गतिविधियों का चिन्हांकन कर आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं हेतु बखिरा डेवलपमेंट प्लान विकसित कर प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जिलाधिकारी ने बखिरा झील एवं पक्षी बिहार के विकास को पर्यटन के दृष्टिकोण एवं जनपद के विकास में महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि जनपद संत कबीर नगर में सूफी संत कबीरदास की महापरिनिर्वाण स्थली मगहर है, जिसकी आध्यात्मिक ख्याति सम्पूर्ण विश्व में है, जिसके दर्शन हेतु प्रतिवर्ष लाखों अनुयायी/पर्यटक भ्रमण करते है। आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न जनपद में मगहर से 20.00 किमी0 की दूरी पर “बखिरा पक्षी विहार” अवस्थित है, जिसे 29.06.2021 को“रामसर साइट” घोषित किया गया। आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक रूप से समृद्ध जनपद में पर्यटन को बढ़ावा देने की अपार सम्भावनाएं हैं। मगहर में पर्यटकों के लिए आवश्यक अवसंरचना यथा कबीर अकादमी, ऑडिटोरियम, कबीरदास की जीवनी पर बनी गैलरी का निर्माण कराया गया है, जबकि बखिरा पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करने हेतु विभिन्न कार्य किये जाने की आवश्यकता है। यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने के उपरान्त ईको टूरिज्म के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थल होगा। जिलाधिकारी ने बताया कि “बखिरा विकास योजना” के अन्तर्गत टूरिस्ट फैशिलिटेशन सेण्टर विकसित करने हेतु क्रिटिकल गैप से रू0 80.00 लाख निर्गत कराते हुए का निर्माण कराया जा रहा है। “मनरेगा” से अमृत सरोवर, खेल मैदान एवं बखिरा झाील की साफ-सफाई का कार्य कराया गया है। “उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022” मे दिए गए प्राविधानों के क्रम में 50 मेगा वॉट क्षमता के फ्लोटिंग अथवा स्थलीय सोलर पॉवर प्लाट के स्थापना हेतु के प्रस्ताव निदेशक, यू0पी0नेडा को भेजा गया है। बखिरा विकास योजना में पर्यटन के साथ-साथ क्षेत्र के निवासियों/ग्रामिणों/कृषकों की समस्याओं की समाधान करते हुए उनके जीवन स्तर में गुणात्मक उन्नयन हेतु भी योजना बनायी गयी है। इसी क्रम में बाढ़ खण्ड-2 द्वारा बखिरा झील के चारों ओर पाथ-वे-कम-डैम का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है,जिस पर चलते हुए बखिरा झील के मनोरम दृश्यों, को देखना पर्यटकों में एक अलग आनन्द एवं रोमांच की अनुभूति कराएगा। इस पाथ वे-कम-डैम से दो मुख्य लाभ और हैं- प्रथम बखिरा झील में जल संरक्षण से झील में पक्षियों/मछलियों की संख्या एवं झील के जल स्तर बढ़ने के साथ भू-गर्भ जल में वृद्धि होगी।साथ-ही अतिवृष्टिसे बखिरा झील का जल स्तर बढने से आस-पास के लगभग 1500 से 2000 हे0 कृषि योग्य भूमि जलमग्न हो जाती है, जिससें लगभग 4000 से 5000 कृषक प्रभावित होते हैं। बखिरा पक्षी विहार दिनांक 11.06.2023 को “राज्य पक्षी सारस अभ्यारण” (State Bird Sarus Crane Sanctuary) के रूप में धोषित होने के उपरान्त सारस सहित अन्य पक्षियों एवं लेपिडोप्टेरन की संख्या में विस्तार करने का प्रयास वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। पर्यटकों को “सारस” के सम्बन्ध में जानकारी हेतु इन्फॉरमेशन सेण्टर, जिसका 85 प्रतिशत ग्रीन क्षेत्र होगा, पर्यटकों को साइट सीइंग हेतु डेक, सीटिंग स्टेप्स भी बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। लगभग 35.4 करोड़ का प्रस्ताव वन विभाग द्वारा दिया गया है। उन्होंने बताया कि बखिरा पक्षी विहार में “एग्रो-टूरिज्म” के अन्तर्गत “नेचुरली वेन्टीलेटेड पॉली हाऊस” अमरूद के बाग “गुलाब बाड़ी” एग्रो टूरिज्म तकनीकी हस्तातरण ट्रेनिंग सेण्टर, प्लाट क्लीनिक सह पौध संरक्षण केन्द्र, मिलेट पॉर्लर, स्थानीय कृषि उत्पाद बिक्री केन्द्र व रेसिपी सेण्टर का विकास किया जाएगा, जहॉ स्थानीय कृषक अपने उत्पाद एवं स्थानीय भोजन कों आने वाले पर्यटकों उपलब्ध कराते हुए लाभान्वित हो सकेंगे। इसको मूर्त रूप देने हेतु सम्बन्धित विभाग द्वारा रू0 0.678 करोड़ का प्रस्ताव दिया गया है। ईकों टूरिज्म के अन्तर्ग “ट्री हाऊस”, जिकोवेसिक डोम लाईफ, हाऊस बोट, एक्वेरियम, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, हॉट एयर बैलून, एडवेंचर आइसलैण्ड, जूलोजिकल पार्क, बोटेनिकल पार्क, बोटिंग सहित अन्य कार्य प्रस्तावित है। ईको टूरिज्म के विभिन्न गतिविधियों हेतु आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं यथा इण्टर प्रटेशन सेण्टर, नेचर ट्रेल, कैफेटेरिया, कॉटेज, टॉयलेट ब्लॉक, पाथवे, कैण्टीन, फिश एक्वेरियम, मिलेट्स पॉर्लर, विलेज हट्स इत्यादि के लिए लगभग 150.39 हे0 भूमि चिन्हित कर ली गयी है, जिसकी पूर्ति ग्राम समाज, वन विभाग, किसानों की भूमि से की जायेगी, साथ-ही आने वाले व्यय का वहन सम्बन्धित विभाग किया जायेगा। यद्यपि जनपद स्तर पर तैयार बखिरा विकास योजना के अनुसार बखिरा पक्षी विहार को पर्यटन स्थल के रूप विकसित करने का कार्य विभिन्न विभागों के समन्वित प्रयास से किया जा रहा है, तथापि वर्तमान में उपलब्ध संसाधन/सुविधाएं अपर्याप्त है, जिसे आधुनिक ढंग से विकसित किया जाना है। बखिरा पक्षी विहार को ईको टूरिज्म, एग्रो टूरिज्म के रूप में विकसित करने हेतु लगभग रू 355.658 करोड की आवश्यकता सम्भावित है,जिसमे से रू0 110.81 करोड़ पर्यटन विभाग से अपेक्षित है। इससे “बखिरा पक्षी विहार” भारत एवं विश्व के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित होगा। पर्यटकों को सूफी संत कबीरदास जी के महापरिनिर्वाण स्थली मगहर में दर्शन के उपरान्त मात्र 20 किमी0 पर प्रकृति के द्वारा बनाए गए बखिरा पक्षी विहार में प्राकृतिक दृश्यों के साथ विभिन्न एडवेंचर का आनन्द लेने का अवसर प्राप्त होगा। साथ-ही प्रस्तावित कार्ययोजना के अनुसार इसके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने स्थानीय निवासियों को रोजगार प्राप्त होगा, जनपद के विकास को गति प्राप्त होगी तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होगा।

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