रिपोर्ट-अमित मिश्रा
खड्डा, कुशीनगर। हर वर्ष के भांति इस साल भी बहुत हर्ष उल्लास के साथ सोमवार को भोर में पीड़िता विसर्जित हुआ। अगहन शुक्ल पक्ष एकम को होता है। रुद्र ब्रत पीडिया का त्योहार भारत में हर रिश्ते के लिए यह एक त्योहार हैं, और भाई बहन के लिए तो कई ऐसे त्योहार मनाया जाता है ऐसा ही यह एक महत्वपूर्ण पर्व प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला रुदब्रत पीडिया पौराणिक कथाओं में इसका महत्व प्राचीन काल से ही बताया जाता है।

इस ब्रत की शुरुआत गोबर्धन पुजा के दिन से होता है। गोवर्धन पूजा के गोबर से ही घर के दिवारो पर छोटे छोटे पीडो आकार में लोक गीतों के माध्यम से पीडिया लगाई जाती है। इस दौरान लडकीयां घर के बुजुर्ग महिलाओं से अनकुट से कार्तिक चतुर्दशी एवं कार्तिक पूर्णिमा से सुबह स्नान कर छोटी कहानियां, व बड़ी कहानियां अगहन अमावस्या तक सुनकर ही भोजन करती है। इस ब्रत में चावल व गुड का रसियाव बनाया जाता है जिसे लडकीयां दिनभर उपवास रहने के बाद शाम को जितने भाई होते है उतना ही धान छुडा कर भाईयों के संख्या के अनुसार प्रति भाई 16 सोरहिया के साथ ग्रहण करती है। बोल चाल की भाषा में पीडिया के नाम से प्रचलित इस ब्रत को ज्यादा लड़कियां ही करती है।वे इस ब्रत के माध्यम से अपने भाईयों के खुशहाली, लम्बी उम्र,सुख समृद्धि की कामना करती है। इस बर्ष 5 दिसंबर रविवार को ब्रत रख कर पुरी रात मांगलिक लोक गीत गा कर 6 दिसंबर सोमवार को भोर में एक मिट्टी के कलश में गोबर के बने रुद्र पीडिया को गांजे बाजे के साथ नदी व जलाशयों पर पहुंच कर पीडिया को नदी में विसर्जित करती हैं। साथ ही कन्यायें आपस में चिउडा और मिठाई एक दुसरे से आदान-प्रदान करती हैं फिर पारण कर बहनें अपनी ब्रत तोड़ती है।



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